लखनऊ, 2 दिसंबर 2025:
लंदन में भारतीय सनातन संस्कृति की छाप छोड़कर लौटीं ‘वॉटर वुमन’ के नाम से प्रसिद्ध शिप्रा पाठक का मंगलवार को लखनऊ में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। राजधानी पहुंचने पर शिप्रा ने गोमती तट पर विशेष पूजन कर नदी संरक्षण का संदेश दिया।

गोमती की 1008 किलोमीटर की पदयात्रा कर उसके महत्व को जन-जन तक पहुंचाने वाली शिप्रा पाठक इंग्लैंड में भी गोमती की दिव्यता और भारतीय नदियों की परंपरा को बड़े प्रभाव के साथ प्रस्तुत कर चुकी हैं। वे गोमती के उद्गम स्थल से कैथी तक की पदयात्रा करने वाली पहली महिला भी हैं।
लंदन में अपनी 45 दिन की विदेश यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पुस्तक ‘महाकुंभ’ के अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण किया। इसमें कुंभ की आध्यात्मिक गरिमा और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को विस्तार से बताया गया है। किताब की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे जहां केवल 250 प्रतियां लेकर गई थीं और हजारों प्रतियों की मांग उठ चुकी है।
शिप्रा पाठक ने लंदन के दोनों सदनों में हिंदी में अपने प्रभावशाली संबोधन से सबका मन मोह लिया। उन्होंने कहा कि मैं भारत से हूं, जहां नदियों को माता मानकर पूजते हैं। गंगा, नर्मदा और गोमती के तट पर रहने वाले लोग स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने थेम्स नदी की ऊर्जा और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की परंपरा का उल्लेख करते हुए भारतीय नदियों के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखा।
शिप्रा क्षने कहा कि लंदन में ‘महाकुंभ’ के विमोचन के बाद अब वहां से एक प्रतिनिधिमंडल भारत आने की तैयारी में है। वह भारतीय संस्कृति और नदी परंपरा को और नजदीक से समझना चाहता है।






