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संचार साथी ऐप पर विपक्ष का आरोप! कहा- सरकार कर रही जासूसी, जानिए कौन-सी डिटेल्स मांगता है ये ऐप

संचार साथी ऐप को भारत में प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य किया। लेकिन इसके चलते प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर विवाद पैदा हो गया है। विपक्ष, आम लोग और Apple कंपनी ने इसे लेकर आपत्ति जताई है

नई दिल्ली, 3 दिसंबर 2025 :

आजकल संचार साथी ऐप को लेकर देश में हंगामा तेज हो गया है। क्योंकि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने हाल ही में नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके अनुसार सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को अपने नए फोन में यह ऐप प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। लेकिन इस आदेश के आते ही विपक्ष ने इस पर सवाल खड़े किए और मोबाइल कंपनियों ने भी इस पर विरोध जताया। आइए विस्तार से जानते हैं, पूरा मामला क्या है…

क्यों हो रहा है संचार साथी ऐप पर विवाद?

संचार साथी ऐप अगर आप इंस्टॉल करके रजिस्टर करते हैं, तो यह आपके फोन और SMS ऐप्स का एक्सेस लेता है। अगर आप फोटो अपलोड करते हैं, तो यह आपकी गैलरी तक पहुँच मांगता है। वहीं, IMEI कोड स्कैन करने के लिए ऐप कैमरे की परमिशन मांगता है। कुल मिलाकर यह ऐप आपके फोन, कॉल लॉग्स, SMS, स्टोरेज और कैमरा जैसी परमिशन्स का उपयोग करता है।

संचार साथी ऐप को लेकर सरकार का आदेश क्या है?

दूरसंचार विभाग ने 28 नवंबर को जारी आदेश में कहा है कि भारत में बेचने वाले सभी फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा। पुराने फोन में भी यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट (OTA) के जरिए उपलब्ध कराना जरूरी है। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐप फोन ऑन करते ही यूजर को दिखे। निर्माता इसे छिपा या निष्क्रिय करके कंप्लायंस का दावा नहीं कर सकते।

विपक्ष का आरोप और आम लोगों की चिंता क्या है?

विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि संचार साथी ऐप के जरिए लोगों की जासूसी की जा सकती है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ‘पेगासस प्लस प्लस’ तक कह दिया और लिखा, ‘बड़े भाई हमारे मोबाइल और निजी जीवन को टेकओवर कर लेंगे।’ सिर्फ विपक्ष ही नहीं, आम लोग भी सोशल मीडिया पर इस ऐप को लेकर चर्चा कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या उनकी प्राइवेसी खतरे में आ सकती है। इन चिंताओं की शुरुआत ऐप को दी जाने वाली कई तरह की परमिशन्स से हुई है, जिन्हें लेकर लोगों में संशय बढ़ा है।

इस विवाद पर सरकार ने रखा अपना पक्ष

विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप पूरी तरह ऑप्शनल है। इसे किसी भी अन्य ऐप की तरह एक्टिवेट या डिएक्टिवेट किया जा सकता है और यदि कोई नहीं रखना चाहता तो ऐप को रिमूव भी किया जा सकता है। सिंधिया ने कहा, ‘आप अपनी मर्जी से इसे एक्टिवेट या डिएक्टिवेट कर सकते हैं… अगर आप इसे नहीं रखना चाहते हैं तो इसे डिलीट कर सकते हैं। यह पूरी तरह ऑप्शनल है।’ उन्होंने प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों को गलतफहमी बताया। मंत्री ने यह भी बताया कि ऐप डिवाइस पर जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं कर सकता और इसे उपभोक्ताओं की सुरक्षा बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है।

Apple ने iPhone में ‘संचार साथी ऐप’ डालने से किया मना

ऐपल कंपनी ने भारत सरकार के आदेश का पालन करने से साफ इंकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा। ऐपल का कहना है कि वह दुनिया के किसी भी देश में इस तरह के आदेश को स्वीकार नहीं करता। कंपनी को डर है कि ऐसा करने से iPhone की प्राइवेसी और सिक्योरिटी को गंभीर नुकसान हो सकता है। ऐपल का पूरा सिस्टम (iOS) काफी सख्त और बंद है, जिसमें कोई भी बाहरी ऐप गहराई तक प्रवेश नहीं कर सकता। अगर सरकार का ऐप जबरदस्ती इंस्टॉल किया गया, तो हैकरों के लिए मौका बढ़ सकता है और यूजर्स का निजी डेटा खतरे में पड़ सकता है। इसी वजह से ऐपल ने साफ मना कर दिया है। यही कारण है कि ऐपल की सिक्योरिटी को दुनिया में सबसे भरोसेमंद माना जाता है।

संचार साथी ऐप क्या है?

संचार साथी को सबसे पहले 2023 में एक पोर्टल के रूप में लॉन्च किया गया था। इसे मुख्य रूप से स्कैम कॉल्स रिपोर्ट करने, यूजर्स को उनके नाम पर रजिस्टर्ड सिम कार्ड की जानकारी देने और चोरी होने पर फोन को निष्क्रिय करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के डीएनडी ऐप जैसा ही है। ऐप वर्जन में भी पोर्टल वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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