बरेली, 5 दिसंबर 2025:
मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत कामकाजी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और आर्थिक सहारा देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। श्रम विभाग ने सर्वे के आधार पर प्राथमिकता श्रेणियां तय करते हुए ऐसे बच्चों की पहचान शुरू कर दी है, जो मजबूरी में ढाबों, होटलों, फैक्ट्रियों या अन्य प्रतिष्ठानों पर काम करते हैं।
पहले चरण में चयनित 20 जिलों में बरेली भी शामिल है। प्रत्येक जिले में 100 बच्चों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य है। सहायक श्रमायुक्त बाल गोविंद के अनुसार, बरेली में अब तक 500 बच्चों को इस योजना से सहायता मिल चुकी है। उनका कहना है कि योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा मजबूरी में मजदूरी न करे और उसे शिक्षा व सुरक्षा दोनों प्राप्त हों।
पहली प्राथमिकता में वो बच्चे जिनके माता-पिता नहीं
शासन द्वारा निर्धारित नौ प्राथमिकता श्रेणियों में सबसे पहले उन बच्चों को शामिल किया गया है, जिनके माता-पिता दोनों नहीं रहे और परिवार उनकी कमाई पर निर्भर है।
इसके अलावा पिता की मृत्यु, माता-पिता स्थायी दिव्यांग, गंभीर रूप से बीमार माता-पिता, विधवा या तलाकशुदा महिला के परिवार, माता की मृत्यु या गंभीर बीमारी, भूमिहीन परिवारों से जुड़े बच्चे को भी प्राथमिकता में रखा गया है। सर्वेक्षण में केवल वही बच्चे चुने जाएंगे जो वास्तव में कामकाजी पाए गए हों।
पहला चरण: 20 जिलों में 2000 बच्चों को लाभ
आगरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, लखनऊ, बाराबंकी, गोरखपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, गाजीपुर सहित 20 जिलों में योजना का पहला चरण चल रहा है। प्रति जिले 100 बच्चों को शामिल करने के लक्ष्य के साथ कुल 2000 बच्चों को लाभ मिलेगा।
योजना के तहत बालक को 1000 रुपये, बालिका को 1200 रुपये मासिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा, पढ़ाई जारी रखने पर कक्षा 8, 9 और 10 उत्तीर्ण करने पर प्रति कक्षा 6000 रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। गरीबी और मजबूरी के कारण काम करने को मजबूर बच्चों के लिए यह योजना सुरक्षा कवच की तरह काम कर रही है, जिससे वे पढ़ाई जारी रख सकें और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।






