न्यूज डेस्क, 5 दिसंबर 2025:
वेबसाइट सुरक्षा और कंटेंट डिलीवरी सेवाएं देने वाली कंपनी क्लाउडफ्लेयर (Cloudflare) आज एक बार फिर तकनीकी खराबी का शिकार हो गई। इसके चलते जीरोधा, ग्रो, कैनवा, डाउनडिटेक्टर, जूम, एंजेल वन और अपस्टॉक्स जैसी कई लोकप्रिय सर्विसेज कुछ समय के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकीं। कंपनी ने बताया कि उसकी डैशबोर्ड और API सर्विसेज में समस्या आई थी, जिसके चलते आधे घंटे तक रिक्वेस्ट फेल हुईं और लाखों यूजर्स को एरर मैसेज दिखाई दिए। यह 18 नवंबर के बाद क्लाउडफ्लेयर का दूसरा बड़ा आउटेज है।
यूजर्स की बढ़ीं शिकायतें
सर्वर डाउन होने की जानकारी देने वाली वेबसाइट डाउनडिटेक्टर पर दोपहर करीब 1:50 बजे से शिकायतों की बाढ़ आने लगी। 2,100 से अधिक यूजर्स ने वेबसाइट और ऐप्स न चलने की रिपोर्ट दी। क्लाउडफ्लेयर ने माना कि यह दिक्कत उनकी आंतरिक सर्विस डिग्रेडेशन के कारण हुई, जिससे वेबसाइट एक्सेस, सर्वर कनेक्शन और होस्टिंग पर व्यापक असर पड़ा।
कैनवा, जूम, शॉपिफाई से लेकर चैटजीपीटी तक प्रभावित
कंपनी की परेशानी केवल भारत तक सीमित नहीं रही। दुनिया भर में कई बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म्स कुछ समय के लिए ठप हो गए। जीरोधा और ग्रो ने पुष्टि की कि उनकी सर्विसेज क्लाउडफ्लेयर आउटेज के कारण प्रभावित हुई थीं। वहीं कैनवा, जूम, शॉपिफाई, स्पॉटिफाई, वैलोरेंट, चैटजीपीटी और कई अन्य ग्लोबल सर्विसेज भी डाउन रहीं। करीब 30 मिनट बाद अधिकतर प्लेटफॉर्म्स ने सर्विस बहाल होने की जानकारी दी।
18 नवंबर को थम गई थीं 1.4 करोड़ वेबसाइट्स
यह समस्या 16 दिनों में क्लाउडफ्लेयर की दूसरी बड़ी नाकामी है। 18 नवंबर को कंपनी की तकनीकी गड़बड़ी के चलते X (ट्विटर), चैटजीपीटी, कैनवा, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, उबर, जूम समेत 1.4 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स दुनिया भर में ठप हो गई थीं। कई घंटों तक लॉगिन, साइनअप, पोस्टिंग और प्रीमियम सर्विसेज का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया था। उस दौरान डाउनडिटेक्टर की वेबसाइट भी बंद हो गई थी।
20% वेबसाइट्स पर क्लाउडफ्लेयर का प्रभाव
क्लाउडफ्लेयर दुनिया की 20% से ज्यादा वेबसाइट्स को सुरक्षा और कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) की सेवाएं देता है। खुद को “इंटरनेट का इम्यून सिस्टम” कहने वाली यह कंपनी रोजाना अरबों साइबर अटैक ब्लॉक करती है और इंटरनेट ट्रैफिक को तेज बनाती है। कंपनी 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,420 करोड़) की तिमाही कमाई करती है और 3 लाख से ज्यादा ग्राहकों को सर्विस देती है। चीन समेत 125 देशों में इसका बड़ा नेटवर्क मौजूद है, इसलिए हर गड़बड़ी का असर दुनिया भर की वेबसाइट्स पर तुरंत दिखता है।






