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एथेनॉल में रिकॉर्ड उछाल : 2025 में यूपी बना देश का उभरता इंडस्ट्रियल हब, रोजगार सृजन के खुले नए आयाम

प्रदेश में 30 हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों से बढ़ी आर्थिक रफ्तार, राजस्व वृद्धि के साथ निवेश से वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने में बड़ा योगदान

लखनऊ, 8 दिसंबर 2025:

यूपी सरकार की आबकारी नीति ने वर्ष 2025 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान की है। पारदर्शिता, निवेश सहज वातावरण और तकनीकी सुधारों पर आधारित इस नीति ने न केवल उद्योगों के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाया बल्कि एथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में यूपी को देश के अग्रणी राज्यों में शीर्ष पायदान पर पहुंचा दिया है। उत्पादन और बिक्री के ताजा आंकड़े प्रदेश में तेजी से बढ़ती औद्योगिक सक्रियता की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं।

नवंबर 2025 तक प्रदेश में 141.8 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन दर्ज किया गया। ये अब तक का सर्वाधिक है। यह उपलब्धि उद्योगों में बढ़ती क्षमता, आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और सुगम लाइसेंसिंग व अनुमति प्रणाली का परिणाम मानी जा रही है। प्रदेश के भीतर 105.25 करोड़ लीटर और प्रदेश से बाहर 40.96 करोड़ लीटर की बिक्री ने यूपी को एथेनॉल सप्लाई की सबसे भरोसेमंद कड़ी बना दिया है। इस मजबूत प्रदर्शन के कारण राज्य राष्ट्रीय एथेनॉल मानचित्र पर ऊंचा दर्जा प्राप्त कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक गतिशीलता को नया आयाम मिल रहा है।

अल्कोहल आधारित उद्योगों के विस्तार में बड़े कॉर्पोरेट समूहों से लेकर मिड-साइज औद्योगिक इकाइयों तक सभी की दिलचस्पी लगातार बढ़ी है। प्रदेश के आबकारी आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह के अनुसार ‘इनवेस्ट यूपी’ के माध्यम से अब तक 125 महत्वपूर्ण समझौते किए जा चुके हैं। इनसे जुड़े 3,07,35 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। इसके अतिरिक्त 43 ऐसे प्रोजेक्ट भी तैयार हैं जिनके लिए भूमि आवंटन पूरा हो चुका है। इनके जरिए 6898.88 करोड़ रुपये का निवेश आगे बढ़ रहा है।

वर्तमान में इनवेस्ट यूपी के तहत 19 प्रोजेक्ट संचालित हैं, जिनमें 2900 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो चुका है। 4800 से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। वहीं गैर-एमओयू श्रेणी में 28 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनमें 2752 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। कुल मिलाकर इस सेक्टर से करीब 9940 से अधिक रोजगार अवसर बनने की संभावना है।

विशेषज्ञों के अनुसार आबकारी नीति का यह प्रभाव बताता है कि राज्य सरकार औद्योगिक विकास को सीधे रोजगार सृजन और राजस्व वृद्धि से जोड़ने में सफल रही है। प्रदेश में मजबूत औद्योगिक माहौल, बढ़ते निवेश और सक्रिय उत्पादन क्षमता यह संकेत देते हैं कि उत्तर प्रदेश अब एक नई आर्थिक अवस्था में प्रवेश कर चुका जहां उद्योग, निवेश और रोजगार एक साथ आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।

यह प्रदर्शन राज्य की आर्थिक नीति, राजस्व प्रबंधन और दीर्घकालिक औद्योगिक दृष्टि का परिणाम माना जा रहा है। ये आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश को देश का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाने की दिशा में मजबूत आधार तैयार कर रहा है।

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