लखनऊ, 8 दिसंबर 2025:
यूपी में छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयास अब स्पष्ट परिणाम दिखा रहे हैं। बेहतर कानून व्यवस्था, सरल नीतियों और निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण ने राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को नई गति दी है। वर्तमान में प्रदेश में 96 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां सक्रिय हैं। ये लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
पिछले आठ वर्षों में प्रदेश सरकार ने उद्योगों के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने पर विशेष ध्यान दिया है। एक समय निवेशकों के कम विश्वास और जटिल औद्योगिक प्रक्रियाओं से जूझने वाले राज्य ने अब समयबद्ध मंजूरी व्यवस्था, सिंगल विंडो सिस्टम और जिलों में निवेश-हितैषी माहौल तैयार कर स्थिति में बड़ा बदलाव किया है। इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश छोटे उद्योगों का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य वर्ष 2029-30 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य पर तेजी से काम कर रहा है। एमएसएमई सेक्टर को इस परिवर्तन का प्रमुख आधार माना जा रहा है। वर्ष 2022 में लागू की गई एमएसएमई प्रमोशन पॉलिसी के तहत पिछड़े क्षेत्रों में 10 से 25 प्रतिशत तक पूंजी सब्सिडी दी जा रही है। एससी-एसटी और महिला उद्यमियों को अतिरिक्त लाभ मिल रहे हैं।
निवेश मित्र और एमएसएमई वन कनेक्ट पोर्टल ने अनुमोदन प्रक्रिया को सुगम बनाया है। अब तक 19 लाख से अधिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। जीईडी प्रमाणन और पीएमईजीपी आवेदन भी ऑनलाइन सरलता से हो रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2025 में एमएसएमई क्षेत्र को 2.48 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण वितरित किए गए हैं। महिला उद्यमियों और युवाओं को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत लगभग 1,200 करोड़ रुपये की ऋण सब्सिडी प्रदान की गई है।
इसके साथ ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना और ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) ने पारंपरिक कारीगरों को नई पहचान दी है। प्रदेश सरकार ने अपनी खरीद में एमएसएमई से 25 प्रतिशत खरीद अनिवार्य की है, जिसमें महिला उद्यमियों के लिए 3 प्रतिशत और एससी-एसटी इकाइयों के लिए 4 प्रतिशत का आरक्षित कोटा निर्धारित है।
कृषि और तकनीकी आधारित उद्योगों का विस्तार भी तेजी से हो रहा है। लखनऊ और कानपुर में इनोवेशन हब्स स्थापित किए गए जहां ड्रोन तकनीक और एआई आधारित खेती को बढ़ावा मिल रहा है। विकसित यूपी 2047 विजन में 33 क्षेत्रीय नीतियां एमएसएमई को लक्षित करती हैं। इनसे अर्थव्यवस्था को लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक योगदान मिल रहा है।
सरकारी नीतियों के इन सतत प्रयासों ने उत्तर प्रदेश को विकसित भारत के आर्थिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित करना शुरू कर दिया है। छोटे उद्योग अब राज्य की प्रगति के प्रमुख इंजन बनकर उभर रहे हैं।






