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नए साल में नई सख्ती : UP के सरकारी स्कूलों में नहीं चलेगी लेटलतीफी, शिक्षकों की लगेगी ऑनलाइन हाजिरी

शासनादेश जारी, बेसिक शिक्षा विभाग ने डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था विकसित करने की प्रक्रिया की तेज, शिक्षक संगठनों ने आपत्ति जताई, माध्यमिक में लागू है ये व्यवस्था

लखनऊ, 11 दिसंबर 2025:

यूपी के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की लेटलतीफी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शासन ने शिक्षकों की समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बड़े बदलाव की घोषणा की है। नए निर्देशों के अनुसार अब शिक्षकों की रोजाना हाजिरी ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। यह फैसला हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर गठित समिति की रिपोर्ट के बाद लिया गया है। शासनादेश जारी होने के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था विकसित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।

नई व्यवस्था के तहत प्रदेश के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में तैनात करीब 4.50 लाख शिक्षकों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। शिक्षक को विद्यालय शुरू होने के एक घंटे के भीतर उपस्थिति दर्ज करानी होगी और अंतिम स्वीकृति प्रधानाध्यापक देंगे। यह पूरी प्रक्रिया माध्यमिक शिक्षा विभाग के समन्वय से तैयार किए जा रहे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी क्योंकि माध्यमिक विद्यालयों में पहले से ही ऐसी ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली लागू है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति गठित की जाए। यह समिति माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ मिलकर एक आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करेगी जिस पर बेसिक विभाग की उपस्थिति प्रणाली को पूरी तरह स्थानांतरित किया जाएगा।

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हालांकि यह पूरी व्यवस्था लागू होने में कुछ समय और लगेगा और संभावना है कि इसे नए वर्ष 2026 की शुरुआत में प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। इससे पहले ही शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि विभाग ने उनकी लंबित मांगों को नजरअंदाज कर दिया है। शिक्षकों का तर्क है कि ईएल-सीएल की सुविधा, आधे दिन का अवकाश, बेहतर मेडिकल सुविधा, सामूहिक बीमा, गृह जनपद में तैनाती और गैर-शैक्षिक कार्यों से मुक्ति जैसी मांगें लंबे समय से लंबित हैं। इन मुद्दों का समाधान किए बिना डिजिटल उपस्थिति थोपना उनके साथ वादाखिलाफी जैसा है।

2024 में डिजिटल अटेंडेंस का आदेश जारी होने के बाद शिक्षकों के विरोध के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। बाद में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति बनी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर के आदेश के बाद यह प्रक्रिया फिर सक्रिय हुई और 6 नवंबर को समिति की बैठक के आधार पर नए निर्देश जारी किए गए। नई व्यवस्था से जहां सरकार शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाना चाहती है, वहीं शिक्षक अपने अधिकारों और सुविधाओं के समाधान की मांग पर अड़े हुए हैं।

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