लखनऊ, 16 दिसंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के ट्रैफिक को रफ्तार देने वाला ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। गोमतीनगर के समतामूलक चौराहे से निशातगंज तक ग्रीन कॉरिडोर पर जल्द गाड़ियां फर्राटा भरने लगेंगी। वैसे इस फेज को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने 15 दिसंबर से आवागमन शुरू करने की बात कही थी लेकिन कुछ अहम कार्य अधूरे होने के कारण समय लग रहा है। अब उम्मीद है कि यह रूट 25 दिसंबर तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
दरअसल, इन दिनों एलडीए के अधिकारी राष्ट्र प्रेरणा स्थल के लोकार्पण की तैयारियों में व्यस्त हैं। इसका उद्घाटन 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि उसी दिन ग्रीन कॉरिडोर के इस महत्वपूर्ण हिस्से को भी जनता को समर्पित किया जा सकता है।

समतामूलक चौराहे से निशातगंज, निशातगंज से हनुमान सेतु, हनुमान सेतु से डालीगंज और डालीगंज से पक्का पुल के बीच बनाए गए ब्रिज, रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) और गोमती नदी के बंधों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। हालांकि, समतामूलक से निशातगंज तक बने फ्लाईओवर को निशातगंज मेन रोड से जोड़ने का कार्य अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। फ्लाईओवर और सड़क के जंक्शन पर सड़क निर्माण, मजबूती और फिनिशिंग का काम अभी जारी है।
इसके अलावा ग्रीन कॉरिडोर को हनुमान सेतु की ओर जोड़ने के लिए चौराहे की रि-डिजाइनिंग का काम भी बाकी है। इन्हीं कारणों से इस रूट पर सोमवार से आवागमन शुरू नहीं हो पाया। मौजूदा कार्य प्रगति और अधिकारियों की व्यस्तता को देखते हुए अब यह साफ माना जा रहा है कि 25 दिसंबर से पहले इस कॉरिडोर का संचालन संभव नहीं है।
एलडीए की ओर से आईआईएम रोड से किसान पथ तक करीब 57 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें गोमती नदी के किनारे बना 28 किलोमीटर लंबा हिस्सा खास तौर पर शहर के ट्रैफिक दबाव को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। परियोजना पूरी होने के बाद रोजाना पांच लाख से अधिक लोगों को सुगम और तेज आवागमन की सुविधा मिलने का दावा किया जा रहा है।
एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के अनुसार ग्रीन कॉरिडोर के दूसरे फेज का मुख्य काम पूरा हो चुका है और केवल फिनिशिंग का कार्य शेष है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि 25 दिसंबर तक समतामूलक चौराहे से निशातगंज तक ग्रीन कॉरिडोर को आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा। इसके शुरू होने से लखनऊ के विकास को नई दिशा मिलने और गोमती किनारे का यह मार्ग शहर की नई लाइफलाइन बनने की उम्मीद है।






