लखनऊ, 18 दिसंबर 2025:
यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है। सत्र की शुरुआत से पहले ही इसके हंगामेदार रहने के संकेत मिल रहे हैं। एक ओर ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा कराने की तैयारी में है तो दूसरी ओर चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के तीखे तेवर सदन की कार्यवाही को प्रभावित कर सकते हैं। विपक्षी दल इस प्रक्रिया को लेकर भाजपा पर लगातार हमलावर हैं।
सत्र से पहले गुरुवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई जिसमें सत्र की रूपरेखा और कार्यसूची पर चर्चा की गई। बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सर्वदलीय बैठक बुलाई जिससे सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से संचालित की जा सके। हालांकि विपक्ष का कहना है कि सरकार ने सत्र की अवधि जानबूझकर कम रखी है।

समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मल्होत्रा ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के बाद कहा कि यूपी 25 करोड़ की आबादी वाला राज्य है। यहां जनता कई गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि जनता ने विधायकों को अपनी समस्याएं सदन में उठाने के लिए चुना है लेकिन इतना छोटा सत्र रखने से समुचित चर्चा संभव नहीं हो पाएगी। मल्होत्रा ने वंदे मातरम् पर आठ घंटे तक चर्चा कराने की मांग उठाई जबकि सरकार की ओर से चार घंटे चर्चा कराने की बात कही जा रही है। इसके साथ सपा विधायक ने शनिवार और रविवार को भी सदन चलाने की मांग करते हुए सत्ता पक्ष पर जनता के मुद्दों से बचने का आरोप लगाया।
जानकारी के मुताबिक सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही घोसी से सपा विधायक रहे स्वर्गीय सुधाकर सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव के बाद स्थगित कर दी जाएगी। शनिवार और रविवार को अवकाश होने के कारण सदन की कार्यवाही नहीं होगी। 22 दिसंबर को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुपूरक बजट को मंजूरी के लिए सदन में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद 23 दिसंबर को विधायी कार्य निपटाए जाएंगे, जबकि 24 दिसंबर को अनुपूरक बजट पर विस्तृत चर्चा होगी।

इस सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पारित कराने की तैयारी में है। इनमें यूपी पेंशन हकदारी एवं विधिमान्यकरण, यूपी नगर निगम (संशोधन), यूपी दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन), यूपी सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन), यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) और यूपी निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम संशोधन विधेयक शामिल हैं। कुल मिलाकर शीतकालीन सत्र में राजनीतिक टकराव और अहम विधायी फैसलों की संभावना है।






