लखनऊ, 19 दिसंबर 2025:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी)से बचाव के लिए संतुलित और संयमित जीवनशैली जरूरी है। उन्होंने चिंता जताई कि छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, इसलिए इसके रोकथाम के लिए व्यापक और ठोस रणनीति तैयार की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान एसजीपीजीआई में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 54वें वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने इण्डियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की ओर से साउथ एशिया रीजन के लिए प्रो. अमित गुप्ता को प्रतिष्ठित ‘आईएसएन पायनियर’ पुरस्कार प्रदान किया। साथ ही उन्होंने वरिष्ठ चिकित्सकों को लाइफ टाइम अचीवमेण्ट अवॉर्ड एवं एफआईएसएन (FISN) अवॉर्ड से सम्मानित किया। वहीं अधिवेशन की डिजिटल स्मारिका ‘ISNCON-2025’ का भी विमोचन किया।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस जैसी गंभीर बीमारी को खत्म कर राज्य ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। एसजीपीजीआई स्थापना से ही स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पहले सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी रहती थी, लेकिन 2017 के बाद किसी भी सरकारी अस्पताल को धन की कमी नहीं होने दी गई। उन्होंने बताया कि 1947 से 2017 तक प्रदेश में केवल 17 मेडिकल कॉलेज थे, जबकि अब राज्य में 80 मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं।
कोरोना काल का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय सरकारी अस्पतालों ने बड़ी संख्या में मरीजों की जान बचाई। टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज को लोगों तक पहुंचाया गया। उन्होंने बताया कि एक साल में इलाज के लिए 1300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ से अधिक गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं, जिनसे किडनी रोगियों को भी इलाज मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य नहीं कहा जा सकता। हर जिले के सरकारी अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार नागरिकों की सेहत को लेकर गंभीर है और मिलावटखोरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। खेती में रासायनिक उर्वरकों के कम इस्तेमाल और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर भी काम हो रहा है।
इस अवसर पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह व एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर राधाकृष्ण धीमन भी मौजूद रहे। कार्यशाला के आयोजक सचिव प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया कि 18 से 21 दिसंबर तक चलने वाली इस चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में किडनी रोगों के इलाज, शोध और नई तकनीकों पर चर्चा की जा रही है। इसमें देश के साथ-साथ विदेशों से भी विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।





