लखनऊ, 20 दिसंबर 2025 :
हर साल 20 दिसंबर को पूरी दुनिया में *’अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Solidarity Day)’* मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2005 में की थी, ताकि विविधता में एकता के महत्व को वैश्विक स्तर पर समझाया जा सके। तब से लेकर अब तक यह दिन शांति, भाईचारे, प्रेम, सौहार्द और आपसी सहयोग का संदेश फैलाने के लिए समर्पित है। दुनिया के अलग अलग देश इस अवसर पर लोगों को एकजुट रहने और मानवता के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं।

एकता दिवस का मूल उद्देश्य क्या है?
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समानता, सहयोग और न्याय की भावना को मजबूत करना है। यह खासतौर पर विकासशील देशों में मानव और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र हर साल इस दिवस की थीम में बदलाव नहीं करता, ताकि एकजुटता का मूल संदेश स्थायी रूप से लोगों के बीच बना रहे। मिलेनियम घोषणा में भी एकजुटता को 21वीं सदी के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अहम मूल्य माना गया है।
कैसे हुई थी इसकी शुरुआत?
इस दिवस की पृष्ठभूमि 20 दिसंबर 2002 से जुड़ी है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 57/265 के तहत विश्व एकजुटता कोष की स्थापना की थी। फरवरी 2003 में इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए एक ट्रस्ट फंड के रूप में लागू किया गया। इस कोष का उद्देश्य गरीबी पर रोक लगाना और विकासशील देशों में मानव व सामाजिक विकास को गति देना है।

क्यों जरूरी है मानव एकजुटता?
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का मकसद विविधता में एकता के विचार को मजबूत करना है। यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि दुनिया में असमानता और सामाजिक अन्याय को कम करने के लिए एकजुटता बेहद जरूरी है। एकजुटता ही सतत विकास की नींव रखती है। शिक्षा के माध्यम से, चाहे बच्चे हों या वयस्क, समाज में एकता और सहयोग की भावना को विकसित किया जा सकता है।
एकजुटता के लिए वैश्विक प्रयास
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने मानव अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ को मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। वर्ष 2017 में इस जनादेश को तीन साल के लिए बढ़ाया गया और नाइजीरिया के ओबिओरा सी ओकफोर को यह जिम्मेदारी दी गई। अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस से जुड़े संगठनों का मानना है कि नस्लवाद और असमानता से लड़ने के लिए एकजुट होकर खड़ा होना जरूरी है, क्योंकि एकजुटता के बिना न स्थिरता संभव है और न ही विकास।






