लखनऊ, 27 दिसंबर 2025:
यूपी एसटीएफ ने आयुष्मान भारत योजना में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए गोमतीनगर विस्तार इलाके से सात जालसाजों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फर्जी आईडी और सेटिंग के जरिए अब तक दो हजार से ज्यादा अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवा चुका था। गिरफ्तार आरोपियों में आईएसए (इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी) के दो पूर्व और एक वर्तमान एग्जीक्यूटिव के साथ-साथ एसएचए (स्टेट हेल्थ एजेंसी) का एक एग्जीक्यूटिव भी शामिल है।
एसटीएफ के एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, इसी गैंग के दो सदस्य 17 जून को प्रयागराज के नवाबगंज से पकड़े गए थे। उनके पास से 84 अपात्रों के आयुष्मान कार्ड मिले थे। उसी कड़ी में जांच आगे बढ़ी तो लखनऊ में इस गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिली।
इसके बाद एसटीएफ टीम ने गोमतीनगर विस्तार की विजयनगर कॉलोनी, खरगापुर में छापा मारकर सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी किराये के मकान में रहकर पूरा रैकेट चला रहे थे। गिरफ्तार आरोपियों में प्रतापगढ़ के चंद्रभान वर्मा, बाराबंकी के राजेश मिश्रा, सुजीत कनौजिया और सौरभ मौर्य, गाजीपुर के विश्वजीत सिंह, माल का रंजीत सिंह और सैफई का अंकित यादव शामिल हैं। पूछताछ में सामने आया कि चंद्रभान इस गिरोह का मास्टरमाइंड है।
आरोपियों ने बताया कि वे पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में ओटीपी बायपास कर अपात्र लोगों के नाम जोड़ देते थे। इसके बाद आईएसए और एसएचए स्तर पर मिलीभगत से आयुष्मान कार्ड अप्रूव कराए जाते थे। चंद्रभान ने कबूल किया कि उसने कार्ड अप्रूवल के लिए साथियों को करीब 22 लाख रुपये दिए थे।
गिरोह प्रति फर्जी आयुष्मान कार्ड छह हजार रुपये वसूलता था। कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट में कंप्यूटर ऑपरेटर और आयुष्मान मित्र के रूप में कार्यरत रंजीत सिंह भी इस नेटवर्क की मदद करता था। इन कार्डों के जरिए अलग-अलग अस्पतालों में मुफ्त इलाज दिखाकर मोटी कमाई की जाती थी।
एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप, 129 लोगों का आयुष्मान डाटा, 70 फर्जी कार्डों के स्क्रीनशॉट, 22 डेबिट कार्ड, आठ पैन कार्ड, 10 चेकबुक, पासबुक, पहचान पत्र, स्कैनर, मोहर, क्यूआर कोड, प्रिंटर, कार और 60,370 रुपये नकद बरामद किए हैं। फिलहाल साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।






