साल 2025 भारतीय बाजार के लिए सिर्फ एक कैलेंडर ईयर नहीं, बल्कि यह एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। यह साल दो अलग-अलग लेकिन आपस में जुड़ी कहानियों के लिए याद किया जाएगा। एक तरफ भारत का प्राइमरी इक्विटी मार्केट अपने सबसे मजबूत दौर में पहुंचा, तो दूसरी ओर सोना और चांदी जैसी पारंपरिक संपत्तियों ने ऐसे रिकॉर्ड बनाए, जिन्होंने आधुनिक वित्तीय व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए। सरल शब्दों में कहें तो 2025 वह साल रहा जब निवेशकों ने एक साथ जोखिम भी लिया और सुरक्षा भी चुनी और दोनों ही फैसलों में उन्हें जबरदस्त फायदा हुआ।
IPO बाजार: भरोसे का सबसे बड़ा इम्तिहान, सबसे शानदार नतीजा
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा रणनीति रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में भारत के प्राइमरी इक्विटी बाजार ने अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड दर्ज किया। इस साल 365 से अधिक IPO आए, जिनके जरिए कंपनियों ने कुल ₹1.95 लाख करोड़ जुटाए।
यह आंकड़ा इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले 2024 में 336 IPO के जरिए ₹1.90 लाख करोड़ जुटाए गए थे। यानी संख्या और रकम-दोनों ही मामलों में 2025 आगे रहा। अगर बीते दो वर्षों को एक साथ देखें, तो 2024 और 2025 में 701 IPO के जरिए कुल ₹3.8 लाख करोड़ की फंडिंग हुई। यह साफ संकेत है कि भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों का भरोसा न केवल कायम रहा, बल्कि और मजबूत हुआ।

NBFC सेक्टर की दमदार वापसी
2025 के IPO बाजार की सबसे बड़ी कहानी रही नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) सेक्टर की जोरदार वापसी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुल IPO फंडिंग का 26.6% हिस्सा अकेले NBFC कंपनियों से आया।
साल 2025 में NBFC सेक्टर ने 24 IPO के जरिए ₹63,500 करोड़ जुटाए, जो पिछले दो वर्षों में किसी भी एक सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान रहा।
निवेशकों की दिलचस्पी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि NBFC IPO को करीब ₹14.9 लाख करोड़ की बोलियां मिलीं। यानी औसतन 23 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन। यह स्तर कैपिटल गुड्स और हेल्थकेयर जैसे मजबूत सेक्टरों के बराबर रहा।
बड़े नाम पर बड़ा भरोसा
इस IPO लहर का नेतृत्व देश की जानी-मानी कंपनियों ने किया। टाटा कैपिटल, HDB फाइनेंशियल, ICICI प्रूडेंशियल AMC और बजाज हाउसिंग फाइनेंस जैसे नाम सबसे आगे रहे।

टाटा कैपिटल का ₹15,510 करोड़ का IPO भारत का चौथा सबसे बड़ा IPO बना। इसे करीब 2 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। लिस्टिंग के बाद शेयर में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं दिखा, जिसे रिपोर्ट ने बेहतर प्राइस डिस्कवरी का संकेत बताया।
ICICI प्रूडेंशियल AMC का प्रदर्शन और भी मजबूत रहा। यह शेयर लिस्टिंग के बाद भी लगातार ऊपर बना रहा और सेकेंडरी मार्केट में अपने इश्यू प्राइस से 20% से ज्यादा ऊपर कारोबार करता नजर आया।

वहीं बजाज हाउसिंग फाइनेंस का ₹6,560 करोड़ का IPO करीब 50 गुना सब्सक्राइब हुआ, जो निवेशकों के जबरदस्त उत्साह को दिखाता है।

बैंकों की सतर्क चाल: IPO नहीं, QIP और OFS पर फोकस
जहां NBFC ने IPO बाजार में बाजी मारी, वहीं बैंकों ने 2025 में सतर्क और रणनीतिक रुख अपनाया। अधिकांश बैंकों ने IPO के बजाय QIP (Qualified Institutional Placement) और OFS (Offer for Sale) को प्राथमिकता दी। निजी बैंकों की ओर से लगभग कोई नया IPO नहीं आया, जबकि PSU बैंक QIP बाजार में छाए रहे।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अकेले ₹25,000 करोड़ जुटाए, जो 2025 की कुल QIP फंडिंग का लगभग 35% था।

इसके अलावा यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी पूंजी पर्याप्तता बढ़ाने के लिए बाजार का रुख किया।
OFS के मोर्चे पर भी बैंक और NBFC सबसे आगे रहे। बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक बड़े सौदों में शामिल रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, OFS से जुटाई गई रकम का 60% हिस्सा निजी कंपनियों से आया, जो ऊंचे वैल्यूएशन के बीच प्रमोटरों द्वारा हिस्सेदारी घटाने की प्रवृत्ति को दिखाता है।
सर्राफा बाजार: 2025 की सबसे चमकदार कहानी
अगर 2025 को सर्राफा बाजार के लिहाज से ऐतिहासिक कहा जाए, तो यह बिल्कुल सही होगा। साल की शुरुआत में जहां निवेशक वैश्विक अनिश्चितताओं से घबराए हुए थे, वहीं साल के अंत तक वही निवेशक सबसे ज्यादा मुनाफे में नजर आए।

24 दिसंबर 2025 को बाजार बंद होने तक:
- सोना ₹1.38 लाख प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया
- चांदी ₹2.23 लाख प्रति किलो के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई
हार्ड एसेट्स बनाम कागजी मुद्रा
वर्ष 2025 को वैश्विक वित्तीय इतिहास में उस साल के रूप में याद किया जाएगा, जब ‘हार्ड एसेट्स’ ने कागजी मुद्रा के वर्चस्व को सीधी चुनौती दी। यह सिर्फ कीमतों में बढ़त का साल नहीं था। यह उस भरोसे के टूटने का साल था, जो दशकों से पारंपरिक वित्तीय सिस्टम पर बना हुआ था।
निवेशक, केंद्रीय बैंक और आम उपभोक्ता—सभी एक ही दिशा में बढ़ते नजर आए: सुरक्षा की ओर। और वित्तीय दुनिया में सुरक्षा का सबसे बड़ा नाम हमेशा से सोना रहा है।
वैश्विक सर्राफा बाजार में बना रिकॉर्ड
क्रिसमस सप्ताह 2025 के दौरान, जब दुनिया छुट्टियों के जश्न में डूबी थी, वैश्विक सर्राफा बाजार में अलग ही हलचल दिखी।
22 दिसंबर 2025 को:
- सोना 4,400 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार कर गया
- चांदी 70 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गई

यह 1979 के बाद का सबसे बड़ा वार्षिक उछाल था, जिसने इक्विटी, बॉन्ड और यहां तक कि क्रिप्टोकरेंसी के रिटर्न को भी पीछे छोड़ दिया।
2024 से 2025: निवेशकों के लिए सुनहरा सफर
अगर 1 जनवरी 2024 और 24 दिसंबर 2025 के आंकड़ों की तुलना करें, तो तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाती है।
भारतीय बाजार में बदलाव
चांदी: ₹93,500 से बढ़कर ₹2,32,741 प्रति किलो (करीब ₹1.39 लाख का फायदा)
सोना: ₹76,214 से बढ़कर ₹1,39,216 प्रति 10 ग्राम (करीब ₹63,000 का फायदा)

तेजी के पीछे क्या रहे तीन बड़े कारण?
पहला, चांदी की औद्योगिक मांग।2025 में चांदी को ‘ग्रीन मेटल’ की नई पहचान मिली। अमेरिका द्वारा इसे क्रिटिकल मिनरल घोषित किए जाने और सोलर पैनल व EV बैटरी सेक्टर में बढ़ती मांग ने कीमतों को ऊपर धकेला।
दूसरा, केंद्रीय बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी। चीन, रूस और BRICS देशों ने डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए सोने के भंडार में भारी इजाफा किया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, यह 50 वर्षों की सबसे बड़ी खरीदारी थी।
तीसरा, ब्याज दरें और भू-राजनीतिक तनाव। फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती और मध्य-पूर्व में जारी तनाव ने निवेशकों को शेयर बाजार से हटाकर सोने की ओर मोड़ा।
विश्लेषकों और ब्रोकरेज हाउस, जैसे गोल्डमैन सैक्स, का मानना है कि 2026 में भी यह तेजी जारी रह सकती है। अनुमान है कि:
- सोना 4,900–5,000 डॉलर प्रति औंस
- चांदी 85–90 डॉलर प्रति औंस (भारत में करीब ₹2.50 लाख प्रति किलो) तक जा सकती है।
2025 वह साल रहा जब भारतीय बाजार ने यह साबित कर दिया कि विकास और सुरक्षा एक साथ चल सकते हैं। IPO बाजार ने भरोसे की नींव मजबूत की, और सोना-चांदी ने यह याद दिलाया कि अनिश्चित समय में चमक हमेशा सुरक्षा से आती है।






