लखनऊ, 5 दिसंबर 2025:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ग्रामीण पर्यटन नीति ने अयोध्या मंडल के गांवों की तस्वीर बदल दी है। धार्मिक पर्यटन को गांवों की संस्कृति, जीवनशैली और परंपराओं से जोड़कर तैयार किए गए होमस्टे मॉडल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी है। इससे न सिर्फ स्थानीय आय में वृद्धि हुई है, बल्कि महिलाओं, किसानों और कारीगर परिवारों को स्थायी रोजगार भी मिला है। अयोध्या मंडल के 19 गांवों को विशेष रूप से होमस्टे विकास के लिए चयनित किया गया है।
गांवों में होमस्टे से बढ़े रोजगार के अवसर
ग्रामीण पर्यटन के तहत प्रदेश के 93 गांवों को पहले चरण में होमस्टे विकास के लिए चुना है, जिनमें अकेले अयोध्या मंडल के 19 गांव शामिल हैं। अयोध्या जिले के अमौनी, शेरवाघाट, अबानपुर सरोहा, गौराघाट और रामपुरवा गांवों में 50 से अधिक होमस्टे निर्माणाधीन हैं, जिनमें कई पहले से पर्यटकों को ठहरने की सुविधा दे रहे हैं।
जिले में वर्तमान में 292 होटल और 1186 होमस्टे पंजीकृत हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को किफायती दरों पर आवास उपलब्ध करा रहे हैं।
इन गांवों में सड़क, जलापूर्ति, पर्यटक सुविधा केंद्र, सांस्कृतिक केंद्र और ग्रामीण भोजन व्यवस्थाओं को उन्नत किया गया है। इससे ग्रामीण युवाओं के साथ महिलाओं और कारीगरों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर बने हैं।
होमस्टे पंजीकरण और आय में तेजी से वृद्धि
ग्रामीण पर्यटन के प्रभाव से अयोध्या के होमस्टे संचालकों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
पहले जहां मासिक आय 40,000–50,000 रुपये तक सीमित थी, वहीं अब यह बढ़कर 2 लाख रुपये तक पहुंच गई है। ‘दिव्य अयोध्या’ ऐप के माध्यम से फरवरी 2025 तक 69 लाख से अधिक बुकिंग दर्ज की गई हैं। होमस्टे का औसत किराया 1500–2500 रुपये प्रति कमरा प्रतिदिन है।
सरकार की होमस्टे नीति-2025 लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण में 40% तक की वृद्धि देखी गई है। खेती के साथ पर्यटन आधारित सेवाएं ग्रामीण परिवारों की नई आय का सुरक्षित स्रोत बन रही हैं। अयोध्या में गेस्ट हाउस संचालक अंशुमान तिवारी बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण और सरकारी नीतियों के चलते क्षेत्र में होमस्टे व्यवसाय तेजी से बढ़ा है। साधारण होमस्टे से भी लोग 50 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह कमा रहे हैं। उनके अनुसार, योगी सरकार की नीतियों ने अयोध्या का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित किया है।
महिलाओं, कारीगरों और हस्तशिल्प को नई पहचान
ग्रामीण पर्यटन और होमस्टे मॉडल ने स्थानीय कलाकारों, हस्तशिल्पियों और कारीगरों को भी बड़ी राहत दी है। राम मंदिर निर्माण के बाद हस्तशिल्पकारों की संख्या में 25% से अधिक की वृद्धि हुई है। पर्यटन विभाग द्वारा गठित ग्रामीण सांस्कृतिक अनुभव समूहों में हजारों महिलाओं को जोड़ा गया है, जो भोजन व्यवस्था, लोक व्यंजन, साफ-सफाई और मेहमाननवाजी से जुड़कर 5,000-12,000 रुपये अतिरिक्त आय कमा रही हैं।
योगी सरकार का लक्ष्य-आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अयोध्या की पहचान केवल धार्मिक नगरी तक सीमित नहीं हो, बल्कि गांवों की आत्मा, संस्कृति और परंपरा से भी हो। इसी सोच के तहत गांवों में होमस्टे, ग्रामीण भ्रमण, खेती अनुभव, नदी किनारे गतिविधियां और हस्तशिल्प बाजार विकसित किए गए हैं। सरकार का यह मॉडल आने वाले वर्षों में लाखों ग्रामीण परिवारों की स्थायी आय का आधार बनेगा और उत्तर प्रदेश को ग्रामीण पर्यटन का राष्ट्रीय लीडर बनाएगा।






