पटना, 1 नवंबर, 2024
आप सबकी आवाज नाम से नयी राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद बिहार की राजनीति में नये सिरे से पदार्पण करने वाले आरसीपी सिंह नयी तैयारी में जुट गये हैं। मिली खबर के अनुसार आरसीपी सिंह पूरे बिहार की यात्रा पर निकलेंगे। आरसीपी की इस यात्रा को राज्य में अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल आरसीपी सिंह के नजदीकी सूत्रों की माने तो नयी राजनीतिक दल बनाने के बाद आरसीपी सिंह पूरी तैयारी में हैं। अपनी पार्टी की जड़ को मजबूत करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति को दर्शाने के लिए आरसीपी सिंह पूरे बिहार की यात्रा पर निकलने वाले हैं। सूत्रों की माने तो यात्रा की तैयारी को लेकर पूरा खाका तैयार हो गया है। छठ पूजा के बाद आरसीपी बिहार की यात्रा पर निकल सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनकी यह यात्रा किसी रथ पर नहीं होगी बल्कि जिस तरह की जिलेवार यात्रा उन्होंने अपनी पार्टी को लॉन्च करने के पहले की थी, उसी का यह अगला भाग होगा।
सीमांचल पर विशेष फोकस
जानकारी के अनुसार आरसीपी सिंह भी राज्य के सीमांचल जैसे इलाके पर नजर जमाए हुए हैं। दरअसल अपनी पार्टी को लॉन्च करने से पहले आरसीपी सिंह ने सीमांचल के कई जिलों, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार, पूर्णियां के अलावा खगडिया और अन्य जिलों में यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से उनकी राय को जाना था। आरसीपी ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से करीब 140 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही थी। अब खबर यह भी है कि इनमें से ज्यादातर उम्मीदवार सीमांचल और उसके आस पास के जिलों में हो सकते हैं।
कई जिलों की कर सकते हैं यात्रा
आरसीपी सिंह अपनी यात्रा के पहले भाग में बिहार के कई जिलों में नहीं गए थे। उनसे जुडे सूत्रों की माने तो आरसीपी सिंह अपनी यात्रा के क्रम में अब उन जिलों को प्राथमिकता दे सकते हैं, जहां वह नहीं गए थे। इनमें शाहाबाद क्षेत्र के अलावा तिरहुत, सारण के जिले भी शामिल हैं।
सीमांचल पर अन्य दलों की विशेष नजर
दरअसल राज्य का सीमांचल बिहार की राजनीति में हॉट प्वाइंट बना हुआ है। एक तरफ जहां नयी पार्टी बनाकर राजनीति में उतरे प्रशांत किशोर इसी इलाके में अपना ध्यान लगाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ ओवैसी की पार्टी की भी इन इलाकों में खास नजर है। सत्तारूढ जदयू और प्रमुख विपक्षी दल राजद भी इन इलाकों को लेकर खास तैयारी में है। कांग्रेस के तीन एमपी में से दो तो इन इलाकों से ही आते हैं। जबकि बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीमांचल से ही हैं।
दिलचस्प हो सकती है राजनीतिक लड़ाई
सीमांचल का इलाका वोट की नजर से काफी उर्वर है। अल्पसंख्यक वोटों की बड़ी संख्या इस इलाके में है। राज्य के तमाम राजनीतिक दल अपनी नजरें गड़ाए बैठे हैं। ऐसे में अब अगर आरसीपी सिंह भी इन इलाकों में अपनी पैनी राजनैतिक नजर बनाए हुए हैं, तो आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को कितनी सफलता मिलेगी? यह देखना दिलचस्प होगा? क्योंकि वोटर यही होंगे लेकिन राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अगर छोटे या नये राजनीतिक दल इन बडे़ दलों के वोटरों में सेंधमारी करने में सफल हो जाते हैं तो बडे़ राजनीति दलों के लिए आने वाले अन्य चुनावों में यह बड़ी चुनौती हो सकती है।