
नई दिल्ली, 20 जून, 2025
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अंग्रेजी को लेकर की गई कथित टिप्पणी पर अब राजनीतिक बयानबाजी तेज होते जा रही है। गृहमंत्री की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए शुक्रवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस कथित टिप्पणी पर भाजपा-आरएसएस पर जमकर निशाना साधा।
राहुल गांधी ने कहा कि – “आज की दुनिया में अंग्रेजी आपकी मातृभाषा जितनी ही महत्वपूर्ण है – क्योंकि यह रोजगार प्रदान करेगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ाएगी।” उन्होंने कहा, “अंग्रेजी कोई बांध नहीं है, यह एक पुल है। अंग्रेजी कोई शर्म नहीं है, यह शक्ति है। अंग्रेजी कोई जंजीर नहीं है – यह जंजीरों को तोड़ने का एक साधन है।” उन्होंने भाजपा नेताओं पर भी निशाना साधा, जिनके अपने शिष्य अंग्रेजी बोलते हैं और विदेश में पढ़ते हैं, जबकि भाजपा के नेता भारत में लोगों को अंग्रेजी का प्रयोग करने से रोकते हैं।
“बीजेपी-आरएसएस नहीं चाहते कि भारत के गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें – क्योंकि वे नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें और समान बनें। आज की दुनिया में, अंग्रेजी आपकी मातृभाषा जितनी ही महत्वपूर्ण है – क्योंकि यह रोजगार प्रदान करेगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ाएगी,” एलओपी राहुल गांधी ने हिंदी में एक्स पर लिखा।
सोशल मीडिया पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संदेश में कुछ युवकों के साथ एक छोटा वीडियो और उन केंद्रीय मंत्रियों की सूची भी थी जिनके बच्चे विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं, जिनमें पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, येल विश्वविद्यालय, वारविक विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, टफ्ट्स विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय शामिल हैं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी की टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गुरुवार को एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी के काफी करीब है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह समय दूर नहीं जब अंग्रेजी बोलने वाले लोग खुद शर्म महसूस करेंगे।
अमित शाह की यह टिप्पणी एक हिंदी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर की गई, जिसके बाद एक सह-वक्ता ने हिंदी पर कथित खतरे और इसके प्रयोग को लेकर लोगों में मतभेदों पर चिंता व्यक्त की।अमित शाह ने कहा, “मेरे शब्दों पर ध्यान दीजिए, कोई संकट नहीं है। आने वाले सालों में जल्द ही ऐसा भारतीय समाज बनने जा रहा है, जिसमें अंग्रेजी बोलने वाले लोग खुद शर्म महसूस करेंगे।” उन्होंने कहा कि विदेशी भाषाओं के माध्यम से अर्जित आधा-अधूरा ज्ञान भारतीय संस्कृति, इतिहास और धर्म की पूरी समझ नहीं ला सकता। उन्होंने देश को एकजुट करने वाले कारक के रूप में हिंदी की भूमिका पर जोर दिया।
भारतीय भाषाओं को महत्व देने संबंधी विपक्ष के नेता राहुल गांधी की टिप्पणी में तमिलनाडु जैसे गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर कथित रूप से हिंदी थोपने के खिलाफ एक शक्तिशाली संदेश भी छिपा था।विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “भारत की हर भाषा में आत्मा, संस्कृति और ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी सिखानी है। यही एक ऐसे भारत का मार्ग है जो दुनिया से प्रतिस्पर्धा करेगा और हर बच्चे को समान अवसर देगा।”






