पटना, 19 फरवरी 2025
पटना उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल श्वास परीक्षण शराब पीने का “निर्णायक सबूत” नहीं है, उच्च न्यायालय ने किशनगंज में रहने वाले सारण निवासी के खिलाफ बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के तहत किशनगंज आबकारी पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को खारिज कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने 13 फरवरी को अपने आदेश में कहा कि शराब पीने के संदेह वाले व्यक्ति के रक्त और मूत्र परीक्षण के माध्यम से ही शराब के सेवन का पता लगाया जा सकता है।
पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने अपने आदेश में कहा: “… इस अदालत के पास यह मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि अधिकारी माननीय सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी पर विचार करने में विफल रहे, और एक श्वास विश्लेषक रिपोर्ट के आधार पर, जिसे शराब पीने का निर्णायक सबूत नहीं कहा जा सकता है।”
अदालत ने बिहार सरकार के कर्मचारी नरेंद्र कुमार राम द्वारा दायर एक रिट याचिका को अनुमति दे दी, जिन्हें 2 मई, 2024 को किशनगंज आबकारी पुलिस ने शराबबंदी राज्य में कथित तौर पर शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया था।