
इंदौर, 21 जून 2025
मध्यप्रदेश में एक बार फिर से सरकारी परियोजनाएं में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसके चलते केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इंदौर की एक कंपनी के 183 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले की पीएनबी के वरिष्ठ प्रबंधक समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
बता दे कि यह पूरी कार्रवाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई है और यह मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) द्वारा प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए दिए गए ठेकों से संबंधित है। एजेंसी द्वारा गुरुवार को जारी एक बयान के अनुसार, सीबीआई ने 9 मई को तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं। ये इंदौर स्थित एक कंपनी द्वारा प्रस्तुत धोखाधड़ी की गारंटी से संबंधित हैं, जिसने 2023 में एमपीजेएनएल से तीन प्रमुख सिंचाई-संबंधी अनुबंध हासिल किए, जिनकी सामूहिक कीमत लगभग 974 करोड़ रुपये है।
परियोजनाओं को सुरक्षित करने के लिए, कंपनी ने कुल 183.21 करोड़ रुपये की आठ जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत की। सत्यापन प्रक्रिया के दौरान, एमपीजेएनएल को पंजाब नेशनल बैंक के आधिकारिक डोमेन से गारंटी की पुष्टि करने वाले ईमेल प्राप्त हुए। हालांकि, बाद में ये फर्जी पाए गए।
उन ईमेल के आधार पर, एमपीजेएनएल ने कंपनी को करीब 1,000 करोड़ रुपये के ठेके दिए। धोखाधड़ी के प्रकाश में आने के बाद, सीबीआई ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की और 19 और 20 जून को पांच राज्यों, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और झारखंड में 23 स्थानों पर तलाशी ली।
सीबीआई ने बताया कि छापेमारी के दौरान कोलकाता से पंजाब नेशनल बैंक के एक वरिष्ठ प्रबंधक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। दोनों को स्थानीय कोलकाता कोर्ट में पेश किया गया और ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है।शुरुआती जांच से पता चलता है कि इस घोटाले के पीछे कोलकाता स्थित एक गिरोह का हाथ है और हो सकता है कि वह अन्य राज्यों में भी सरकारी ठेके हासिल करने के लिए इसी तरह की फर्जी गारंटी का इस्तेमाल कर रहा हो। फिलहाल इस मामले में सीबीआई की जांच जारी है।






