नई दिल्ली, 12 जुलाई 2025
देश में लम्बे समय से चर्चा का विषय बने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर अब देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपनी चिंता व्यक्त की है। उनके साथ जे.एस. खेहर ने भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक के कुछ प्रावधानों, खासकर चुनाव आयोग को अतिरिक्त शक्तियाँ देने वाले प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की है। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने यह सवाल उठाया है कि क्या विधानसभाओं को कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग करना संवैधानिक है। इस पर खेहर ने सुझाव दिया कि इस फैसले में न केवल चुनाव आयोग, बल्कि संसद या केंद्र सरकार की भी भूमिका होनी चाहिए।
धारा 82ए (5) के अनुसार, यदि किसी विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ कराना संभव न हो, तो चुनाव आयोग राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है कि उस विधानसभा के चुनाव बाद में कराए जाएँ। इस पर बोलते हुए, पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने सुझाव दिया कि विधेयक में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि देश में आपातकाल की स्थिति में चुनाव प्रक्रिया कैसे संचालित की जाएगी।
एक अन्य चिंता यह व्यक्त की गई कि यदि विधान सभा का शेष कार्यकाल केवल कुछ महीनों का है, तो विधेयक में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि उस स्थिति में चुनाव कराना उचित है या नहीं। संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि समिति विभिन्न विशेषज्ञों के विचारों का स्वागत करती है। इसमें सभी मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण का यह एक दुर्लभ अवसर है और समिति का उद्देश्य इस विधेयक में सुधार लाना है, न कि इसे ज्यों का त्यों वापस लौटाना।
अब तक चार पूर्व मुख्य न्यायाधीश और कई कानूनी विशेषज्ञ समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं। शुक्रवार को समिति की आठवीं बैठक हुई, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता ई.एम. सुदर्शन नचियप्पन ने भी अपने सुझाव साझा किए।