
नई दिल्ली, 17 मार्च 2025
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए इस्लामाबाद के नेतृत्व को सद्बुद्धि आएगी।अमेरिका स्थित लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में मोदी ने याद दिलाया कि उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था, इस उम्मीद के साथ कि दोनों देश एक नए अध्याय की ओर बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “फिर भी, शांति को बढ़ावा देने के हर नेक प्रयास का सामना शत्रुता और विश्वासघात से हुआ। हमें पूरी उम्मीद है कि उन्हें सद्बुद्धि मिलेगी और वे शांति का मार्ग चुनेंगे।”
मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं, क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहने से थक चुके होंगे, जहां निर्दोष बच्चों की हत्या कर दी जाती है और अनगिनत लोगों की जान चली जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का उनका पहला प्रयास सद्भावना का एक संकेत था।
मोदी ने कहा, “यह दशकों में किसी भी तरह का अनूठा कूटनीतिक इशारा था। वही लोग जो कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाते थे, वे तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि मैंने सभी सार्क राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया है और हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में उस ऐतिहासिक इशारे को खूबसूरती से दर्शाया है।” रविवार को जारी तीन घंटे से ज़्यादा लंबे पॉडकास्ट में उन्होंने कहा, “यह इस बात का सबूत है कि भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट और आत्मविश्वासी हो गई है। इससे दुनिया को शांति और सद्भाव के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में एक स्पष्ट संदेश गया, लेकिन हमें वांछित परिणाम नहीं मिले।”
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की दीर्घकालिक भूमिका की आलोचना की तथा इस बात पर बल दिया कि दुनिया को अब इस बात पर कोई संदेह नहीं रह गया है कि आतंकवाद की जड़ें कहां हैं।
मोदी ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार आतंक का केन्द्र बनकर उभरा है, जिससे न केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को भारी पीड़ा हो रही है। स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जिसे अब पाकिस्तान और भारत के नाम से जाना जाता है, वहां के सभी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी।
मोदी ने कहा, “और देश आज़ादी का जश्न मनाने, आज़ादी की खुशी मनाने के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। अब, हम इस बात पर लंबी चर्चा कर सकते हैं कि किन वजहों से ये घटनाएँ घटीं। लेकिन सच्चाई यही है कि उस समय के नीति निर्माता भारत के विभाजन पर सहमत थे।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “और वे मुस्लिम पक्ष की अलग राष्ट्र बनाने की मांग पर सहमत हो गए। दुख और खामोश आंसुओं से दबे दिलों के साथ भारतीयों ने इस दर्दनाक सच्चाई को स्वीकार कर लिया।” मोदी ने कहा, “अपनी मर्जी से काम करने के बाद हमने उनसे उम्मीद की थी कि वे जिएं और दूसरों को जीने दें। लेकिन फिर भी उन्होंने सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा नहीं दिया। बार-बार उन्होंने भारत के साथ मतभेद रखने का फैसला किया। उन्होंने हमारे खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ दिया है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के व्यवहार को विचारधारा समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “किस तरह की विचारधारा खून-खराबे और आतंक के निर्यात पर पनपती है? और हम इस खतरे के अकेले पीड़ित नहीं हैं। दुनिया में जहां भी आतंकी हमला होता है, उसका सुराग किसी न किसी तरह पाकिस्तान की ओर जाता है। उदाहरण के लिए 11 सितंबर के हमलों को ही लें,” उन्होंने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के एक घर में छिपे होने का जिक्र किया।
फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में डोनाल्ड ट्रम्प, वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की, स्पेसएक्स के संस्थापक एलोन मस्क, अमेरिकी व्यवसायी जेफ बेजोस और मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग शामिल हैं।






