लखनऊ, 16 दिसंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को किसानों के हक और अधिकारों की बुलंद आवाज सुनाई दी। रायबरेली रोड से लगे वृंदावन गेट के निकट राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले किसानों की महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में बड़ी संख्या में गांव-गांव से आए किसानों के साथ महिलाओं ने भाग लिया और अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
महापंचायत का मुख्य मुद्दा किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम न मिलना और कृषि से जुड़े अन्याय रहे। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वामीनाथन आयोग की वर्ष 2004 की सिफारिशों के अनुसार लागू किया जाना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे डीजल-पेट्रोल के दाम तय किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक एमएसपी लागत के अनुरूप नहीं होगी तब तक किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती।

किसानों ने लखनऊ की कृषि योग्य जमीनों के सर्किल रेट का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। वक्ताओं ने बताया कि करीब 11 वर्षों तक सर्किल रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। गत 1 अगस्त को जो नया सर्किल रेट लागू हुआ, उसमें केवल 15 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई। ये बढ़ती महंगाई के अनुपात में नाकाफी है। किसानों ने मांग की कि सर्किल रेट को वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार तय किया जाए।
इसके अलावा ट्यूबवेल की बिजली आपूर्ति को लेकर भी नाराजगी जताई गई। किसानों ने कहा कि लखनऊ मंडल में उन्हें केवल 8 से 10 घंटे बिजली मिल रही है। इससे खेती प्रभावित हो रही है। इसे बढ़ाकर कम से कम 20 घंटे किए जाने की मांग की गई। वन विभाग और ग्राम पंचायत द्वारा लगाए गए पेड़ों के रखरखाव पर भी सवाल उठाए गए।
महापंचायत में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप बहादुर पटेल, जिलाध्यक्ष प्रमोद यादव सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।






