हैदराबाद, 7 मई 2025
14 वर्ष बाद CBI कोर्ट ने अवैध खनन के मामले में मंगलवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री और विधायक गली जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) अवैध खनन मामले में दोषी ठहराया।
अदालत ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। रेड्डी को आरोपी नंबर दो बनाया गया साथ ही अदालत ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया फैसले के तुरंत बाद सीबीआई ने रेड्डी और अन्य को हिरासत में ले लिया। सीबीआई अदालत ने यह फैसला लगभग 14 वर्ष बाद सुनाया, जब सीबीआई ने श्री रेड्डी और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें उन पर खनन पट्टे की सीमा चिह्नों के साथ छेड़छाड़ करने और कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व वन क्षेत्र में अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया गया था।
सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश टी रघु राम ने पूर्व मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी कृपानंदम को मामले में बरी कर दिया। अदालत ने जनार्दन रेड्डी के साढू और ओएमसी के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी (ए1) और तत्कालीन खान एवं भूविज्ञान सहायक निदेशक वीडी राजगोपाल (ए3) तथा श्री रेड्डी के निजी सहायक महफूज अली खान (ए7) को दोषी ठहराया। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2007 से 2009 के बीच अवैध खनन से सरकारी खजाने को 884 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सीबीआई ने 3 दिसंबर, 2011 को रेड्डी, जो खनन कंपनी के निदेशक भी हैं, श्रीनिवास रेड्डी, राजगोपाल, स्वर्गीय आर लिंगा रेड्डी और ओएमसी (ए 4) के खिलाफ मामले में पहला आरोप पत्र और उसके बाद तीन पूरक आरोप पत्र दायर किए थे।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी को नवंबर 2022 में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मामले से बरी कर दिया था। सीबीआई के लोक अभियोजक इंद्रजीत संतोषी और सहायक लोक अभियोजक विष्णु मज्जी ने जांच एजेंसी की ओर से मामले पर बहस की।