लखनऊ, 31 अगस्त 2025:
लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में शनिवार शाम एक दुखद घटना हुई। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंभुनाथ एक कार्यक्रम के दौरान ‘काल की कथा’ सुना रहे थे। वे समझा रहे थे कि मृत्यु का दिन और समय निश्चित होता है। उसे कोई नहीं बदल सकता। और फिर अचानक, उन्हीं शब्दों को कहते हुए वे स्वयं काल के आगोश में समा गए। मंच पर उनका अचानक गिरना और फिर कभी न उठना, हर किसी के लिए एक स्तब्ध कर देने वाला क्षण था।
पत्नी की आंखों के सामने हुआ सबकुछ
यह घटना इसलिए भी हृदयविदारक है क्योंकि उस वक्त सभागार में उनकी पत्नी चंदा भी मौजूद थीं। अपनी आंखों के सामने पति का यूं अचानक मेज पर लुढ़कना और फिर अचेत हो जाना, उनके लिए एक असहनीय और दुखद अनुभव था। सभागार में मौजूद सभी लोग सकते में आ गए। कुछ पल की अफरा-तफरी के बाद उन्हें तुरंत सीपीआर देने की कोशिश की गई, लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था।
भावुक एवं गहन विचारों वाले साहित्यकार थे डॉ. शंभुनाथ
उनका जीवन और साहित्य एक दूसरे से गहरे जुड़े हुए थे। वे केवल एक कुशल प्रशासक ही नहीं थे, बल्कि एक भावुक और गहन विचारों वाले साहित्यकार भी थे। उनकी प्रशासनिक क्षमता और साहित्यिक प्रतिभा दोनों ही अद्भुत थीं।
इस अप्रत्याशित घटना ने साहित्य जगत और नौकरशाही दोनों में शोक की लहर दौड़ा दी है। मंच पर मौजूद अन्य साहित्यकार और कलाकार इस घटना से सदमे में हैं। वे सभी इस बात से दुखी हैं कि एक महान व्यक्तित्व ने ऐसे अचानक और मर्मस्पर्शी तरीके से दुनिया को अलविदा कह दिया।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे
डॉ. शंभुनाथ ने न सिर्फ अपने प्रशासनिक करियर में उत्कृष्ट कार्य किया, बल्कि लेखन के प्रति अपने गहरे प्रेम से भी लोगों को प्रभावित किया। वे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। उसी संस्थान में उन्होंने अंतिम सांस भी ली।