ReligiousUttar Pradesh

सनातनी रंग में रंगीं फ्रांस की लीया, कहा… काशी जैसी दुनिया मे दूसरी जगह नहीं

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 28 मई 2025:

यूपी में बाबा काशी विश्वनाथ का धाम सात समंदर पार बसे लोगों को अध्यात्म का एहसास कराती रही है। इसी खोज में यहां गंगा किनारे घाट पर फ्रांस की लीया रुद्राक्ष की माला पर शिव नाम जप करते दिखतीं हैं। वो अपनी पेंटिंग से कैनवास पर शिव के रूप उकेरतीं हैं और फिर अपनी आस्था के रंग भरती हैं। उनका कहना है कि काशी जैसी शांत व सुरक्षित जगह दुनिया मे कोई नहीं है।

गंगा किनारे कैनवास पर शिव के रूपों में आस्था के रंग भर रहीं लीया, शिव नाम जप में बीतता है दिन

फ्रांस की लीया अपने देश मे सांप्रदायिक अशांति के बीच डर और उदासी आए दूर जाने के लिए शांति की तलाश में भारत का रुख किया और पहुंच गईं विश्वनाथ की नगरी काशी। यहां वो डेढ़ माह से हैं। अब वो खुद कहतीं हैं उनका जीवन मानो महादेव की कृपा से रंग गया है। काशी जैसी शांत और सुरक्षित जगह पूरे विश्व में कहीं नहीं।” महादेव की भक्ति में डूबी लीया अब पूरी तरह सनातनी रंग में रंग चुकी हैं। गेरुआ वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और होंठों पर “ॐ नमः शिवाय” का जाप है।

आजीवन आराधना करने की है इच्छा

दिन भर वह गंगा घाट पर बैठकर महादेव के विविध रूपों को अपनी कूची से कैनवास पर उतारती हैं। हर रंग, हर रेखा में उनकी भक्ति झलकती है, मानो वह हर पेंटिंग में शिव की शक्ति को साकार कर रही हों। इस रचनात्मक साधना से उनके मन को गहरी शांति मिलती है, जैसे आत्मा को कोई खोया हुआ ठिकाना मिल गया हो। वह कहती हैं, “काशी ने मुझे मेरी आत्मा से जोड़ दिया। अब मैं यहीं रहकर, महादेव की भक्ति में डूबकर, उनकी पेंटिंग्स के जरिए उनकी आजीवन आराधना करना चाहती हूं।

पेशे से शेफ हैं लीया, फ्रांस की हालत से ऊबा मन

लीया पेशे से शेफ हैं और फ्रांस में उनकी ख्याति किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थी। लेकिन फ्रांस की बिगड़ती स्थिति ने उन्हें बेचैन कर दिया। वह बताती हैं कि वहां कट्टरपंथ ने हर किसी के जीवन को अनिश्चितता के भंवर में धकेल दिया है। ऐसे में, अध्ययन के दौरान उन्हें काशी के बारे में पता चला और उन्हें अपनी मंजिल मिल गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button