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पार्षद से प्रदेश अध्यक्ष तक : 36 साल की सियासत, मजबूत सांगठनिक पकड़ व कुर्मी चेहरे की सियासी ताकत

पंकज चौधरी का औद्योगिक परिवार में हुआ जन्म, गोरखपुर में पढ़े और वहीं से रखा सियासत में कदम, पार्षद के बाद डिप्टी मेयर, सात बार सांसद और केंद्रीय मंत्री बने, पीएम मोदी जा चुके घर

लखनऊ, 14 दिसंबर 2025:

यूपी भाजपा की कमान पंकज चौधरी को सौंपे जाने के पीछे उनका लंबा राजनीतिक अनुभव, मजबूत सांगठनिक पकड़ और समाज पर उनकी गहरी पकड़ को अहम वजह माना जा रहा है। करीब 36 साल पहले शुरू हुई उनकी सियासी पारी आज उन्हें प्रदेश की राजनीति के शीर्ष नेताओं में खड़ा करती है।

20 नवंबर 1964 को गोरखपुर के घंटाघर स्थित हरबंश गली में जन्मे पंकज चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा एमपी इंटर कॉलेज से हुई। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। औद्योगिक परिवार में जन्मे पंकज चौधरी ने राजनीति को अपना जीवन क्षेत्र चुना और वर्ष 1989 में गोरखपुर नगर निगम से पार्षद का चुनाव जीतकर सियासत में औपचारिक प्रवेश किया। इसके बाद में वह नगर निगम में डिप्टी मेयर भी बने।

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1989 में गोरखपुर से अलग होकर महाराजगंज जिला बनने के बाद पंकज चौधरी ने इस क्षेत्र को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया। जिला पंचायत की राजनीति में उनका प्रभाव इस कदर रहा कि महाराजगंज के गठन के बाद उनके बड़े भाई प्रदीप चौधरी पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इसके बाद लगातार दो बार उनकी माता श्रीमती उज्ज्वला चौधरी इस पद पर निर्वाचित हुईं। इतना ही नहीं पंकज चौधरी के समर्थन से कई अन्य नेता भी जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इससे स्थानीय राजनीति में उनकी अजेय छवि स्थापित हुई।

लोकसभा राजनीति में भी पंकज चौधरी का कद लगातार बढ़ता गया। वह महाराजगंज लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने जा चुके हैं। ये उनकी लोकप्रियता और संगठनात्मक ताकत को दर्शाता है। वर्तमान में वह केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पार्टी संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर उनका संतुलन भाजपा नेतृत्व को भरोसेमंद लगता है।

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पंकज चौधरी की राजनीतिक अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता है कि दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उनके गोरखपुर स्थित आवास पर पहुंचे थे। उस समय उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुई थीं, जिसे उनके कद के प्रतीक के तौर पर देखा गया।

जातीय समीकरणों की दृष्टि से भी पंकज चौधरी भाजपा के लिए अहम माने जाते हैं। वह कुर्मी समुदाय से आते हैं। इस बिरादरी का उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव है। मौजूदा सियासी परिदृश्य में भाजपा के मूल काडर से जुड़े बड़े कुर्मी चेहरों में पंकज चौधरी और जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ही प्रमुख रूप से गिने जाते हैं। यही कारण है कि पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उन पर दांव लगाया।

2024 के लोकसभा चुनाव के बाद दिए गए हलफनामे के अनुसार पंकज चौधरी के पास लगभग 41.5 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उसमें कृषि भूमि के साथ-साथ आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं। उनके पिता स्वर्गीय भगवती प्रसाद चौधरी बड़े जमींदार रहे, जबकि उनकी पत्नी भाग्यश्री चौधरी सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। राजनीतिक विश्लेषक पंकज चौधरी को यूपी भाजपा की कमान सौंपे जाने को उनकी जमीनी राजनीति, संगठन पर पकड़ और सामाजिक संतुलन के चलते पार्टी की सोची-समझी रणनीति के तौर पर देखे रहे हैं।

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