
प्रयागराज, 2 अगस्त 2025:
यूपी के प्रयागराज जिले में गंगा और यमुना नदियां उफान पर हैं। शनिवार सुबह दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। नदियों में उफान और लगातार बारिश के चलते शहर के दो दर्जन से अधिक मोहल्लों और करीब दो सौ गांवों में पानी घुस गया है। सैकड़ों घर जलमग्न हो चुके हैं। करीब दो हजार लोग प्रशासन के राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।

जलस्तर खतरे के बिंदु 84.734 मीटर के ऊपर पहुंचने के साथ लगातार बढ़ रहा है। गंगा में कानपुर और नरौरा से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के चलते हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। टोंस नदी में भी भारी जलप्रवाह के कारण तटीय इलाकों में बाढ़ फैल रही है।
सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, सलोरी, शुक्ल मार्केट, गोविंदपुर, कैलाशपुरी, राजापुर, राजापुर, म्योराबाद, दारागंज, रसूलाबाद और बेली कछार जैसे मोहल्ले शामिल हैं। वहीं फूलपुर, करछना, सोरांव और मेजा तहसीलों के सराय मौज, फाफामऊ, झरियारी, सोनौटी, बदरा सहित तमाम गांव भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
बाढ़ के कारण कई स्कूलों को राहत शिविरों में तब्दील कर दिया गया है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कई निजी स्कूलों में शनिवार को अवकाश घोषित कर दिया गया। मेहबूब अली इंटर कॉलेज को भी राहत शिविर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को तेज किया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सीडीआरएफ और क्यूआरटी की टीमें बाढ़ग्रस्त इलाकों में लगातार राहत कार्य कर रही हैं। सैकड़ों नावों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। सड़कों और गलियों में जलभराव से आवागमन बाधित है, जिससे स्थिति और भयावह होती जा रही है।
हालांकि चंबल नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की गई है, जिससे यमुना के जलस्तर की बढ़ोतरी की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है लेकिन केन, बेतवा और टोंस नदी के उफान से संकट अभी टला नहीं है। छतनाग क्षेत्र में जल निकासी पर दबाव बढ़ने के चलते कछारी इलाकों में गंगा का पानी और अधिक फैलने की आशंका जताई जा रही है।
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे नदियों के किनारे न जाएं और दिशा-निर्देशों का पालन करें। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री और आवश्यक सेवाएं पहुंचाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।






