प्रयागराज, 11 दिसंबर 2025:
महाकुंभ-2025 के सफल आयोजन के बाद अब यूपी की योगी सरकार माघ मेला-2026 को भी खास और यादगार बनाने की तैयारी में जुट गई है। इसी कड़ी में माघ मेले का पहला आधिकारिक प्रतीक चिन्ह (लोगो) जारी किया गया है। इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से जारी किया। यह लोगो माघ महीने की आध्यात्मिकता, संगम की परंपरा और धार्मिक मान्यताओं को दिखाता है।
लोगो में दिखता है तप, साधना और संगम की आस्था का संदेश
मेला प्राधिकरण मेला क्षेत्र में जगह-जगह इस लोगो का इस्तेमाल करेगा। इससे पूरे क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। लोगो में माघ मास में संगम किनारे किए जाने वाले जप, तप, साधना और कल्पवास की महत्ता को खास जगह दी गई है। इसके साथ ही पवित्र अक्षयवट, सूर्य और चंद्रमा की 27 नक्षत्रों के साथ ब्रह्मांडीय यात्रा, बड़े हनुमान जी का मंदिर, संगम क्षेत्र में हर साल आने वाले साइबेरियन पक्षी और सनातन संस्कृति की पताका, इन सबको लोगो में खूबसूरती से शामिल किया गया है। लोगो पर लिखा श्लोक “माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:” यह संदेश देता है कि माघ में संगम पर स्नान करने से पापों का नाश होता है।
ज्योतिषीय आधार पर बना है पूरा डिज़ाइन
मेला प्राधिकरण की ओर से नियुक्त डिजाइनर अजय सक्सेना और प्रागल्भ अजय ने यह लोगो बनाया है। इसमें माघ महीने में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को ज्योतिषीय आधार पर दिखाया गया है।ज्योतिषाचार्य हरि कृष्ण शुक्ला के अनुसार चंद्रमा 27 नक्षत्रों की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनों में पूरी करता है। जब सूर्य मकर राशि में होते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा-पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के पास होता है, तभी माघ मास बनता है। इसी अवधि में माघ मेला आयोजित होता है। चंद्रमा की 14 कलाएँ मन और ऊर्जा पर प्रभाव डालती हैं। अमावस्या से पूर्णिमा तक चंद्रमा की बढ़ती कलाएँ (शुक्ल पक्ष) साधना और मानसिक शांति के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती हैं। माघ स्नान भी इसी ऊर्जा संतुलन के आधार पर तय किया जाता है।






