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भारत के समर्थन में उतरा इजराइल, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया आत्मरक्षा का अधिकार

नई दिल्ली, 7 मई 2025

इजरायल ने आतंकवाद से भारत की रक्षा के अधिकार के प्रति अपना समर्थन जताया है, क्योंकि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ उच्च-मूल्य वाले आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद एक सुनियोजित सैन्य हमले में भारतीय सशस्त्र बलों ने मंगलवार देर रात ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।

भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने एक्स पर लिखा, “इजराइल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि निर्दोष लोगों के खिलाफ उनके जघन्य अपराधों से बचने के लिए उन्हें कहीं छिपने की जगह नहीं है।” सैन्य अभियान में उन आतंकी समूहों से जुड़े शिविरों और सैन्य केंद्रों पर हमला किया गया जो पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार थे। इस हमले में जम्मू-कश्मीर के 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी।

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से जोड़ा है, तथा लश्कर-ए-तैयबा के एक ज्ञात प्रतिनिधि द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली है।

सेना ने ऑपरेशन के बाद कहा, “कुछ समय पहले, भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और निर्देशित किया गया।”

भारतीय सेना के प्रवक्ता ने हमलों की सटीकता और सीमित दायरे की पुष्टि करते हुए कहा, “हमारी कार्रवाई केंद्रित और सटीक रही है। हमने केवल उन आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया है, जहां से भारत के खिलाफ हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया।” प्रवक्ता ने कहा, “ऑपरेशन का उद्देश्य और क्रियान्वयन गैर-उग्रवादी था।” उन्होंने आगे कहा, “न्याय हुआ। जय हिंद।”

भारत सरकार ने पुष्टि की है कि सभी नौ लक्ष्यों पर सफलतापूर्वक हमला किया गया तथा पाकिस्तान में किसी भी नागरिक, सैन्य या आर्थिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पूरी रात अभियान की प्रगति पर बारीकी से नजर रखी। सूत्रों ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सैन्य कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऑपरेशन योजना के अनुसार आगे बढ़े।

 

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