जम्मू, 30 जून 2025 —
सीमा पार से लगातार हो रही गोलाबारी के बीच जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की जान बचाने वाले बंकरों के निर्माण में गंभीर लापरवाही सामने आई है। एक आरटीआई के जवाब में राज्य के गृह विभाग ने खुलासा किया है कि पिछले पांच वर्षों में केंद्र द्वारा भेजे गए कुल 242 करोड़ रुपये में से केवल 129 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं।
जम्मू निवासी रमन कुमार द्वारा दायर आरटीआई से यह जानकारी सामने आई है। इसमें बताया गया कि केंद्र सरकार ने 2020 से 2025 के बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकर निर्माण के लिए बड़ी धनराशि दी थी, लेकिन उसका केवल 50% हिस्सा ही उपयोग में लाया गया।
दरअसल, पाकिस्तान की तरफ से बार-बार सीजफायर उल्लंघन और गोलाबारी के चलते केंद्र ने 2018-19 में 14,000 व्यक्तिगत और सामुदायिक बंकर बनाने का निर्णय लिया था। भारत-पाकिस्तान सीमा की कुल लंबाई करीब 3,323 किलोमीटर है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में 221 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय सीमा और 744 किलोमीटर नियंत्रण रेखा शामिल है।
राज्य सरकार के अनुसार, अब तक करीब 9,500 बंकर बनाए जा चुके हैं। मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी हमलों से बचाव में इन बंकरों ने अहम भूमिका निभाई। फिर भी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले कई वर्षों में कोई नया बंकर नहीं बना है। उन्होंने नई नीति बनाकर सीमावर्ती लोगों को व्यक्तिगत बंकर देने की बात कही।
RTI में यह भी बताया गया कि सबसे ज्यादा खर्च राजौरी (78.05 करोड़), फिर पुंछ (44 करोड़), सांबा (42 करोड़), कठुआ (37 करोड़), जम्मू (17 करोड़), कुपवाड़ा (14 करोड़), बांदीपोरा (4.33 करोड़) और बारामूला (4.15 करोड़) जिलों में हुआ है।
सीएम ने सामुदायिक बंकरों को ‘जीवन रेखा’ बताते हुए कहा कि सीमावर्ती लोगों की सुरक्षा के लिए इनका निर्माण आवश्यक है, लेकिन इस धन का पूरा उपयोग न होना चिंता का विषय है।