वाराणसी, 9 दिसंबर 2025:
यूपी के वाराणसी में जारी काशी तमिल संगमम-4.0 उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का सशक्त मंच बनकर उभर रहा है। कार्यक्रम के दौरान तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण भारत के कई अन्य राज्यों से आए 1,400 से अधिक प्रतिनिधि काशी की सांस्कृतिक भव्यता से प्रभावित होने के यूपी में हाल के वर्षों में हुए व्यापक बदलावों और विकास कार्यों को भी नजदीक से देख कर उसकी खुलकर प्रशंसा करते दिखे।

प्रतिनिधियों ने वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या के भ्रमण के बाद उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था, प्रशासनिक दक्षता और शहरों के सौंदर्यीकरण से गहरी संतुष्टि जताई। उनका कहना था कि बीते कुछ वर्षों में प्रदेश ने बुनियादी ढांचे, साफ-सफाई, यातायात प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसे जमीनी स्तर पर महसूस किया जा सकता है। कई प्रतिनिधियों ने सीएम योगी के नेतृत्व में हुए इन सुधारों को ‘गुड गवर्नेंस’ का उदाहरण बताया।
चेन्नई से पहली बार वाराणसी आई मोनालीसा ने यात्रा अनुभव को बेहद सकारात्मक बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में उन्हें हर कदम पर सुरक्षित और व्यवस्थित माहौल मिला। उन्होंने महिला सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था और शहरों में किए गए व्यापक विकास कार्यों को विशेष रूप से सराहा। मोनालीसा ने कहा कि अगर हमारे राज्य में योगी जैसा मुख्यमंत्री होता तो हमारा शहर भी इसी तरह तेजी से विकसित हो सकता था।
पुडुचेरी से आए आर्किटेक्ट पृथ्वीराज ने काशी के हेरिटेज संरक्षण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐतिहासिक धरोहरों को आधुनिकता के साथ संतुलित रखते हुए शहर के सौंदर्य को नया आयाम दिया है। वहीं तिलकवदी ने बताया कि पहले काशी में सड़के संकरी, भीड़भाड़ ज्यादा और साफ-सफाई की कमी रहती थी लेकिन अब शहर का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर बदल चुका है।

तमिलनाडु के विरुधुनगर से आए दीपक ने कहा कि काशी तमिल संगमम के आयोजन में सुरक्षा, परिवहन, आवास और प्रबंधन की व्यवस्था इतने व्यवस्थित ढंग से की गई हैं कि पूरा कार्यक्रम अनुशासन और सौहार्द का प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा कि यही वास्तविक ‘गुड गवर्नेंस’ है।
पीएम मोदी की पहल पर आयोजित यह संगम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को जीवंत करता दिख रहा है। 2 दिसंबर से शुरू हुआ यह दो-सप्ताह का आयोजन तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक सेतु बनकर दोनों क्षेत्रों की परंपराओं, ज्ञान-विज्ञान और सामाजिक संबंधों को और मजबूती प्रदान कर रहा है।
इसमें छात्र, शिक्षक, लेखक, मीडिया प्रतिनिधि, कृषि विशेषज्ञ, पेशेवर, शिल्पकार, महिलाएं और आध्यात्मिक विद्वान सहित सात श्रेणियों के प्रतिभागी शामिल हैं। काशी के इस सांस्कृतिक पर्व में दक्षिण भारत के प्रतिनिधियों की ओर से मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाएं उत्तर प्रदेश में हुए बदलावों और बढ़ते विश्वास का स्पष्ट प्रमाण मानी जा रही हैं।






