अंशुल मौर्य
वाराणसी, 7 सितंबर 2025:
वाराणसी की पावन गंगा के तट पर रविवार को एक अनूठा नजारा देखने को मिला। चंद्रग्रहण के सूतक काल के चलते जहां काशी विश्वनाथ सहित तमाम प्रमुख मंदिरों के द्वार दोपहर से बंद हो गए, वहीं विश्वविख्यात गंगा आरती का समय भी बदल गया। हमेशा सूर्यास्त के समय होने वाली यह आरती इस बार दोपहर के उजाले में संपन्न हुई।
बीते 34 वर्षों में ऐसा पांचवां अवसर था, जब गंगा घाटों पर दिन के प्रकाश में मंत्रोच्चार और “हर-हर महादेव” के जयघोष गूंजे। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण आरती का स्थान भी परिवर्तित करना पड़ा, जिसने इस पवित्र आयोजन को और भी खास बना दिया। काशी के प्रमुख मंदिरों जैसे अन्नपूर्णा, गौरी केदारेश्वर, तिलभांडेश्वर महादेव, महामृत्युंजय, संकटमोचन, बड़ी शीतला, महालक्ष्मी, कालभैरव, देवी कूष्मांडा, तुलसी मानस, त्रिदेव और श्याम मंदिर में दोपहर 12 बजे से ही कपाट बंद कर दिए गए। चंद्रग्रहण का समय रात 9:57 बजे से शुरू होकर 1:26 बजे तक रहेगा, जिसमें रात 11:42 बजे चंद्रमा पूर्ण ग्रहण की अवस्था में नजर आएगा।
सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू हो चुका था, जिसके चलते यह सारी व्यवस्थाएं की गईं। यह अनोखा दृश्य काशी की आध्यात्मिकता और परंपराओं के अनुपम संगम को दर्शाता है, जहां प्रकृति और भक्ति एक साथ नए रंग बिखेरते हैं।