
हरेंद्र दुबे
काठमांडू/गोरखपुर, 21 जुलाई
यूपी से सटे नेपाल देश की राजधानी काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल हैं। यहां गोरक्षपीठ से जुड़े मंदिर के महंत बताते हैं कि काठमांडू में ही 64 सिद्धपीठ हैं ये सभी ऐसे बसे है जिन्हें जोड़ा जाए तो शंखाकार मार्ग बनता है। इन सभी के दर्शन करने के बाद भगवान पशुपतिनाथ मंदिर आने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपति नाथ विश्व भर के शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है। पशुपतिनाथ का मंदिर क्षेत्र एक खुले संग्रहालय की तरह है जिसमें अत्यंत प्राचीन पूजा स्थल, मठ मंदिर और मूर्तियाँ तथा प्राचीन अभिलेख हैं। 1979 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया पशुपतिनाथ मंदिर 2,000 साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर का क्षेत्रफल 240 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। विश्व के 275 पवित्र शिव स्थानों में से पशुपतिनाथ को एक प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है। यह क्षेत्र शैव, शाक्त, वैष्णव, बौद्ध और गणपति सिखों के लिए खुला है। यहां भगवान शिव के पंचमुखी स्वरूप के दर्शन होते है। सावन में यहां रोजाना लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
यूपी की सीमा से सटे काठमांडू में गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का मंदिर भी है। नाथ सम्प्रदाय से जुड़े इस मंदिर के महंत योगी कहते हैं कि पशुपतिनाथ के दर्शन से पहले श्रद्धालु यहां के अन्य 64 सिद्धपीठों का दर्शन कर लें तो उनकी आराधना अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है। महंत बताते हैं कि ये सभी सिद्धपीठ इस तरह मार्ग पर बसे हैं जिन्हें अगर क्रमवार जोड़ा जाए तो शंख का आकार बनता है। वो एक चित्र के माध्यम से इसे शिव सर्किट बताते हैं।महंत कहते हैं कि सीधे पशुपतिनाथ जाने से पहले इन सिद्धपीठों के दर्शन से बहुत पुण्य मिलता है। इसमें डोलेश्वर महादेव मंदिर भक्तपुर, बागेश्वरी मंदिर नेपालगंज, खुंबीश्वर मंदिर पाटन आदि स्थान के सिद्धपीठ शामिल हैं।