महाकुंभ नगर, 16 फरवरी 2025:
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को महाकुंभ में “कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन” विषय पर आयोजित जलवायु सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने जलवायु परिवर्तन की गंभीरता पर चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य के साथ जीव-जंतुओं का भी जीवन चक्र जुड़ा हुआ है। अगर उनका अस्तित्व रहेगा तो मानवता भी सुरक्षित रहेगी। उन्होंने सभी से पृथ्वी को हरा-भरा बनाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया।

जलवायु परिवर्तन पर चिंतन और समाधान आवश्यक
सीएम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर विचार करते समय दोषारोपण करने की बजाय इसके समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने महाकुंभ में पार्किंग अव्यवस्था का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि श्रद्धालु निर्धारित स्थानों पर वाहन पार्क करें तो यातायात सुगम होगा और पर्यावरण को भी कम क्षति पहुंचेगी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी को स्वीकार करने और इसे जीवनशैली में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सूख रहीं नदियां, जलवायु परिवर्तन मुख्य कारण
सीएम योगी ने कहा कि 13 जनवरी से 16 फरवरी के बीच 52 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन नदियों का अस्तित्व जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से खतरे में है। उन्होंने नदियों को धरती माता की धमनियों की संज्ञा देते हुए कहा कि यदि ये सूख गईं या प्रदूषित हो गईं, तो इसका असर पूरे पर्यावरण पर पड़ेगा।
मर चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य जारी
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में 210 करोड़ वृक्षारोपण किया है, जिससे 70-80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सूख चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे संगम में पर्याप्त जल प्रवाह बना रहे।

पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी अनिवार्य
सीएम योगी ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है, लेकिन जनता की भागीदारी के बिना जलवायु परिवर्तन को रोकना संभव नहीं है। उन्होंने नागरिकों से प्लास्टिक का उपयोग बंद करने, नदियों की सफाई में योगदान देने और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया।
सम्मेलन में रही संत-महात्माओं की उपस्थिति
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, परमार्थ आश्रम प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि, जगद्गुरु स्वामी मुकुंदानंद सहित वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, राज्य मंत्री केपी मलिक, विधायक व कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।