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Reading: त्वरित प्रकाशन व प्रसारण की होड़ में तथ्यों की अनदेखी न हो – नरेंद्र ठाकुर
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Uttar Pradesh

त्वरित प्रकाशन व प्रसारण की होड़ में तथ्यों की अनदेखी न हो – नरेंद्र ठाकुर

TheHoHallaTeam
Last updated: May 19, 2025 11:16 am
TheHoHallaTeam 4 months ago
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मेरठ,19 मई 2025:

विश्व संवाद केंद्र मेरठ द्वारा आयोजित नारद सम्मान समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि आज पत्रकारिता में विश्वसनीयता का संकट एक चुनौती है, क्योंकि समाचारों के त्वरित प्रकाशन एवं प्रसारण की होड़ कई बार तथ्यों की अनदेखी कर देती है। इसलिए समाचारों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए तथ्यों को न केवल जांच लेना आवश्यक है, बल्कि उनकी पुष्टि करना भी बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आज एजेन्डा आधारित पत्रकारिता का चलन बढ़ा है, समाचारों के साथ विचारों का भी सम्मिश्रण हो रहा है। उन्होंने देवर्षि नारद का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार वह हर वर्ग की बात सुनते हुए तथा लोकहित को सर्वोपरि मानते हुए समाचारों का सम्प्रेषण करते थे। आज की पत्रकारिता को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने समाचारों को सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् के आधार पर लेखन एवं प्रस्तुतिकरण का आह्वान किया। मेन स्ट्रीम मीडिया को फेक नेरेटिव से बचना चाहिए, विशेष रूप से अभी जो पिछले सप्ताह देखने को मिला, वह मीडिया की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा करता है। इसलिए हमें अपने प्रोफेशन के प्रति जिम्मेदारी के साथ-साथ राष्ट्र बोध भी होना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि नारद जी के संचार का मूल सूत्र गति, सटीकता और निष्पक्षता थी। इसमें कोई सन्देह नहीं कि नारद जी इस ब्रहमांड के प्रथम संवाददाता हैं। महर्षि वाल्मीकि जी को रामायण जैसा महाकाव्य लिखने की प्रेरणा देवर्षि नारद से ही मिली थी। धर्मराज युधिष्ठिर के एक राजा के तौर पर दो ही प्रेरणा के स्त्रोत थे, एक भीष्म पितामह और दूसरे देवर्षि नारद। आज की पत्रकारिता में समाज एवं लोकहित का और अधिक भाव उत्पन्न करने की आवश्यकता है। कई बार समाचारों को देखने एवं पढ़ने से लगता है कि पत्रकारिता का आधार बिन्दु केवल राजनीति है, जबकि समाज जीवन में और भी कई अनेक महत्वपूर्ण पहलू हैं। जिन पर संचार मीडिया जगत को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूँ कि पत्रकारिता कोई उद्योग नहीं है, हां यह उ़द्यम हो सकती है। आजादी के आन्दोलन में पत्रकारिता के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रत्येक क्रान्तिकारी किसी न किसी समाचार पत्र-पत्रिका के साथ अवश्य जुड़ा था। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के शिक्षण संस्थानों को भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित अपने विषय के अनुसार बिन्दुओं को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं मेरठ के महापौर हरिकान्त अहलूवालिया ने कहा कि देवर्षि नारद आज भी उतने ही प्रासिंगक हैं, जितने कि उस समय में थे। उनकी संवाद की शैली, लोक जागरण का कार्य एवं सूचनाओं का निष्पक्ष आदान-प्रदान यह दर्शाता है कि वह वर्तमान सन्दर्भ में भी हमारे आदर्श हैं।
कार्यक्रम में पत्रकारिता की विभिन्न विधाओं की अलग-अलग श्रेणियों में पांच लोगों को सम्मानित किया गया। प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु हिन्दुस्तान समाचार पत्र मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण दीक्षित, सोशल मीडिया के क्षेत्र में फिल्म सेंसर बोर्ड की सदस्या गाजियाबाद निवासी अनीता चौधरी, फोटो पत्रकार के रूप में मुरादाबाद दैनिक जागरण के सुनील यादव लवलीन, मीडिया शिक्षक के रूप में श्री राम कॉलेज, मुजफ्फरनगर के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष रवि भूषण गौतम एवं प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में सतत अविस्मरणीय योगदान (लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड) हेतु राष्ट्रीय सहारा के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश जैन को सम्मानित किया गया।

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