
नई दिल्ली, 26 मई 2025
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से देश के भीतर छुपे हुए गद्दारों और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालो पर कार्यवाही करते हुए एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिरकण) को एक बार फिर से बडी कामयाबी हाथ लगी है। एनआईए ने इसी कड़ी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
देश के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के कर्मियों पर पैसे के बदले में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी एजेंटों को देने का आरोप लगाया गया है। सीआरपीएफ जम्मू-कश्मीर में सेना, स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई है। गिरफ्तार जवान को नई दिल्ली में एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने कहा कि आरोपों से “राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है” और उसे 6 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि इस बारे में जानकारी जुटाना ज़रूरी है कि आरोपी ने पाकिस्तान में खुफिया एजेंसियों को किस तरह की जानकारी दी। अदालत ने कहा, “सशस्त्र बल वह स्तंभ हैं जिसके आधार पर राष्ट्र की ताकत और सुरक्षा मापी जाती है और जिस पर निर्भर होती है। इस तरह से इसका उल्लंघन करने का कोई भी प्रयास जिससे अपूरणीय क्षति हो सकती है, एक ऐसा मुद्दा है जिसकी जांच की आवश्यकता है।”
कांस्टेबल को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15 (आतंकवादी कृत्य से संबंधित), 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) और 18 (षड्यंत्र और संबंधित कृत्यों के लिए सजा) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
यह घटनाक्रम जासूसों और मुखबिरों पर कार्रवाई के बीच हुआ है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भारत में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान को मुहैया कराई है। बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों से पता चलता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने भारत में किस हद तक घुसपैठ की है।
अधिकारी मानते हैं कि यदि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कोई बड़ी हलचल नहीं हुई होती, तो इनमें से अधिकांश ‘जासूस’, जिनमें सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोग, छात्र और व्यापारी शामिल हैं, का पता नहीं चल पाता।






