मनोरंजन डेस्क, 19 दिसंबर 2025 :
बॉलीवुड के स्वर्णिम दौर में जहां दिलीप कुमार जैसे दिग्गज कलाकार की मौजूदगी से ही सेट पर सन्नाटा छा जाता था, वहीं एक ऐसा अभिनेता भी था जिसकी एंट्री से खुद ‘ट्रेजडी किंग’ की धड़कनें तेज हो जाया करती थीं। 350 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह कलाकार कभी हीरो नहीं बना, लेकिन उसकी अदाकारी इतनी असरदार थी कि साइड रोल में रहते हुए भी वह बड़े-बड़े सितारों पर भारी पड़ जाता था। कैमरा ऑन होते ही जिसकी आंखें बोलने लगती थीं और संवाद से पहले ही सीन जीत लेता था, उसी कलाकार के सामने दिलीप कुमार तक खुद को साबित करने की चुनौती महसूस करते थे। इस दिग्गज अभिनेता का नाम ओम प्रकाश है। आइए आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से…
जम्मू से रेडियो तक, फिर फिल्मों में कैसे हुई ओम प्रकाश एंट्री?
अभिनेता ओम प्रकाश का जन्म 19 दिसंबर 1919 को जम्मू में हुआ था। उनका पूरा नाम ओम प्रकाश बख्शी था। उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। बचपन से ही उन्हें कला में गहरी रुचि थी और महज 12 साल की उम्र में उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। साल 1937 में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो सीलोन में 25 रुपये वेतन पर नौकरी की। रेडियो पर उनका लोकप्रिय कार्यक्रम फतेहदीन खूब पसंद किया गया।

ओम प्रकाश उन कलाकारों में शामिल थे, जिन्होंने भले ही बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट काम किया, लेकिन अपनी दमदार अदाकारी से हर फिल्म में खास पहचान बनाई। कभी भावुक दृश्यों से दर्शकों की आंखें नम कीं तो कभी अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से ठहाके लगवाए। अपने लंबे करियर में उन्होंने करीब 350 फिल्मों में काम किया और हर रोल को यादगार बना दिया।
ब्लॉकबस्टर फिल्मों का रहा सुनहरा सफर
ओम प्रकाश ने अपने करियर में कई सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया। उनकी चर्चित फिल्मों में पड़ोसन, जूली, दस लाख, चुपके चुपके, बैराग, शराबी, नमक हलाल, प्यार किए जा, खानदान, चौकीदार, लावारिस, आंधी, लोफर और जंजीर शामिल हैं। उनकी आखिरी फिल्म नौकर बीवी का थी। खास बात यह रही कि जिस भी फिल्म में वे नजर आए, वहां उनका किरदार कहानी को मजबूती देने का काम करता था।
अमिताभ बच्चन संग किरदारों ने दिलों में बनाई जगह
ओम प्रकाश को महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्मों में निभाए गए किरदारों के लिए खास तौर पर सराहा गया। नमक हलाल में दद्दू और शराबी में मुंशीलाल के रूप में उन्होंने दर्शकों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी कि ये किरदार आज भी याद किए जाते हैं। इन भूमिकाओं की वजह से ओम प्रकाश की एक्टिंग को लोग आज भी दोहराते और सराहते हैं।
80 रुपये की शुरुआत, सैकड़ों फिल्मों में बनी पहचान
हिंदी सिनेमा में ओम प्रकाश की एंट्री भी फिल्मी अंदाज में हुई। एक शादी के दौरान निर्माता दलसुख पंचोली की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने तार भेजकर ओम प्रकाश को लाहौर बुलाया। साल 1950 में आई फिल्म दासी के लिए उन्हें 80 रुपये वेतन पर साइन किया गया, जो उनकी पहली बोलती फिल्म बनी। बाद में दोनों ने दुनिया गोल है, झंकार और लकीरें जैसी फिल्में बनाईं। इसके बाद ओम प्रकाश ने अपनी फिल्म कंपनी शुरू की और भैयाजी, गेटवे ऑफ इंडिया, चाचा जिंदाबाद और संजोग जैसी फिल्मों का निर्माण किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने कन्हैया फिल्म भी बनाई थी, जिसमें राज कपूर और नूतन मुख्य भूमिका में थे। अपने दौर में वे मोतीलाल, अशोक कुमार और पृथ्वीराज कपूर जैसे सितारों के साथ काम करते थे और उन्हें लोग डायनेमो कहा करते थे।
हंसी का सफर यहीं थम गया
दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे कोमा में चले गए और 21 फरवरी 1998 को उनका निधन हो गया।






