नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचे, जहां उन्होंने 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस अवसर पर उन्हें जापान की परंपरा से जुड़ा एक खास उपहार “दारुमा डॉल” भेंट किया गया। यह गोल लाल रंग की गुड़िया जापान का प्रतिष्ठित सांस्कृतिक प्रतीक मानी जाती है।
दारुमा डॉल केवल एक गुड़िया नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का प्रतीक है। इसे सौभाग्य, मनोकामना पूर्ति और संघर्ष में धैर्य के संदेश के रूप में देखा जाता है। इसकी सबसे प्रेरक विशेषता यह है कि चाहे कितनी बार गिराया जाए, यह फिर से सीधा खड़ा हो जाता है। इसी कारण जापान में एक कहावत प्रचलित है कि सात बार गिरो, आठ बार उठो।
इस डॉल का भारत से भी गहरा संबंध है। दरअसल, इसका आधार भारतीय भिक्षु बोधिधर्म हैं, जिन्हें 5वीं-6वीं शताब्दी में जापान में दारुमा दाइशी के नाम से जाना गया। कहा जाता है कि बोधिधर्म ने लगातार नौ वर्षों तक ध्यान साधना की थी। इसी तपस्या और धैर्य के प्रतीक से प्रेरित होकर दारुमा डॉल की परंपरा बनी।
दारुमा डॉल की खासियत यह है कि जब कोई व्यक्ति कोई लक्ष्य तय करता है या मनोकामना रखता है, तो वह इसकी एक आंख पर रंग भरता है। जैसे ही लक्ष्य पूरा होता है, दूसरी आंख रंगकर सफलता का उत्सव मनाया जाता है। यही वजह है कि आज जापान के लगभग हर घर, दुकान और मंदिर में इसे रखा जाता है।
लाल रंग की डॉल सबसे लोकप्रिय है, क्योंकि बोधिधर्म अक्सर लाल वस्त्र धारण करते थे। इन्हें कागज और गोंद से बनाया जाता है। इन्हें इस तरह डिजाइन किया जाता है कि गिरने के बाद भी यह फिर से खड़ी हो जाए।
प्रधानमंत्री मोदी को यह उपहार देकर जापान ने न केवल अपनी परंपरा का सम्मान दिखाया, बल्कि भारत और जापान की साझा सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीकात्मक संदेश दिया।