Lucknow City

बरसात ने बर्बाद की कटाई के बाद खेत में पड़ी धान की फसल…किसानों को सरकारी मदद की आस

किसानों का कहना है कि भीगी फसल को सुखाने में अब कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। अगर बरसात जारी रही, तो धान खेतों में ही गिरकर सड़ सकता है।

एमएम खान

लखनऊ, 30 अक्टूबर 2025:

लगातार हो रही बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बुधवार देर रात से शुरू हुई बारिश ने राजधानी लखनऊ के निगोहां क्षेत्र के खेतों में कटाई के बाद रखी धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में पानी भरने से फसल भीग गई और कई जगहों पर धान झड़ने की शिकायतें मिली हैं।

किसानों का कहना है कि बारिश के कारण न सिर्फ धान, बल्कि उर्द, आलू, सरसों और सब्जियों को भी नुकसान की संभावना बढ़ गई है। खेतों में तैयार फसल कटकर पड़ी थी, लेकिन बारिश ने उसे घर लाने का मौका ही नहीं दिया। किसान आनंद तिवारी ने बताया “देर रात से शुरू हुई बरसात रुकने का नाम नहीं ले रही। मेरी धान की फसल कटकर खेतों में पड़ी है और अब वह भीगकर खराब हो रही है। कई जगहों पर तो धान झड़ भी गया है।” उन्होंने आगे कहा कि सरसों और आलू की बुआई वाले खेतों में पानी भरने से भूमि में पट्टा पड़ने का खतरा है, जिससे फसलों का और नुकसान होगा। फूलगोभी जैसी सब्जियां भी इससे प्रभावित हुई हैं।

Rain Ruins Harvested Paddy Crops (1)
Rain Ruins Harvested Paddy Crops (1)

किसान लक्ष्मण ने बताया कि एक बीघे में धान तैयार करने में लगभग 12 से 15 हजार रुपये की लागत आती है। “अब इस बिगड़े मौसम में लागत निकालना भी मुश्किल लग रहा है। खेतों में धान काटकर बोझ बना रखा था, लेकिन बारिश ने सब पर पानी फेर दिया,” उन्होंने कहा धान की खड़ी फसलों की कटाई भी रुक गई है। किसानों का कहना है कि भीगी फसल को सुखाने में अब कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। अगर बरसात जारी रही, तो धान खेतों में ही गिरकर सड़ सकता है।

किसान जावेंद्र तिवारी ने बताया कि “धान पीटकर खेतों में रखा था, लेकिन बरसात ने सब खराब कर दिया। धान में पानी भर गया है और अब उसकी हालत खराब है। मेहनत और लागत दोनों बेकार हो गई।” लगातार हो रही बारिश से किसानों में मायूसी छा गई है। इस समय जब फसल घर लाने का वक्त था, तब मौसम ने किसानों के लिए कहर बनकर दस्तक दी है। किसान अब सरकारी मदद और मुआवज़े की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button