
नई दिल्ली, 2 जुलाई 2025
आंतरिक अशांति के कारण पिछले साल देश छोड़कर भारत में शरण लेने वाली बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को आज (बुधवार) बड़ा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण (आईसीटी) में कई महीनों से चल रहे एक मामले में उन्हें छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया है।
क्या था मामला?
पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार के खिलाफ़ आंतरिक विद्रोह भड़क उठा था। शेख हसीना के इस्तीफ़े की मांग को लेकर लाखों बांग्लादेशी सड़कों पर उतर आए थे। राजधानी ढाका समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश कर रहीं शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ पुलिस और सुरक्षा बलों का इस्तेमाल किया।
14 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच पुलिस, सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में अनुमानतः 1,400 लोग मारे गए। इस घटना के कारण शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई। हालांकि, विरोध प्रदर्शन बंद नहीं हुए। बांग्लादेश में अस्थिरता थी। शेख हसीना पर सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे। मौजूदा बांग्लादेश सरकार ने इसी मामले के सिलसिले में ढाका में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण (ICT) में शेख हसीना के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि शेख हसीना ने देश भर में विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए अपने स्वार्थी उद्देश्यों के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों का इस्तेमाल किया। जून में, उनके खिलाफ अदालत में औपचारिक आरोप पत्र दायर किया गया और मुकदमा शुरू हुआ । मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधिकरण के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने शेख हसीना को 6 महीने की जेल की सज़ा सुनाई। इसी मामले में शेख हसीना के सह-आरोपी शेख अकंद बुलबुल (बांग्लादेश के गोविंदगंज प्रांत के एक राजनीतिक नेता) को भी दो महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई।





