नई दिल्ली, 31 मई 2025
राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाल ही में उनके व्दारा दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे कथित ‘भूमि के बदले नौकरी’ भ्रष्टाचार मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रोकने का आग्रह किया था। न्यायमूर्ति रविंदर दुदेजा ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा – लालू प्रसाद यादव को आरोप तय करने के चरण में ट्रायल कोर्ट में अपने तर्क प्रस्तुत करने की पूरी स्वतंत्रता है और कार्यवाही रोकने के लिए कोई ठोस कारण नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए यादव ने FIR को रद्द करने का अनुरोध किया था, यह तर्क देते हुए कि सीबीआई ने अपनी जांच शुरू करने से पहले आवश्यक पूर्वानुमति प्राप्त नहीं की। उन्होंने कहा कि जहां दूसरों के लिए अनुमति ली गई थी, वहीं उनके मामले में यह अनुमति नहीं मिली। ट्रायल कोर्ट 2 जून को आरोप तय करने पर बहस शुरू करने वाला है। सीबीआई ने याचिका को स्वीकार्यता के आधार पर खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत मंजूरी आवश्यक नहीं थी। साथ ही उन्होंने कहा कि धारा 19 के तहत मंजूरी आवश्यक थी, जो पहले ही प्राप्त कर ली गई है।
जांच एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि उठाया गया विषय वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसे तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा जाएगा। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) पूर्व बिहार मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार और कई अन्य व्यक्तियों की भूमि-के-बदले नौकरी मामले में जांच कर रहे हैं। लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने उम्मीदवारों या उनके रिश्तेदारों से भूमि के टुकड़े उपहार स्वरूप या काफी कम कीमत पर लेकर रेलवे की नौकरियां प्रदान कीं।