NationalPolitics

कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेद पर शशि थरूर ने तोड़ी चुप्पी, कहा – कुछ नेताओं से मेरी राय अलग

तिरुवनंतपुरम, 19 जून 2025

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से कांग्रेस और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच जारी घमासान पर अब आखिरकार थरूर ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। गुरुवार को नीलांबुर निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य शशि थरूर ने को कहा कि पार्टी नेतृत्व में कुछ लोगों के साथ उनके मतभेद हैं, लेकिन फिलहाल वे इस मुद्दे पर बात नहीं कर सकते।

तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए थरूर ने कहा कि कांग्रेस, उसके मूल्य और उसके कार्यकर्ता उनके लिए बहुत प्रिय हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 16 वर्षों तक पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया है और वे उन्हें अपने करीबी दोस्त और भाई मानते हैं। थरूर ने कहा, “हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व में कुछ लोगों के साथ मेरे मतभेद हैं। आप जानते हैं कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं, क्योंकि उनमें से कुछ मुद्दे सार्वजनिक डोमेन में हैं और आप (मीडिया) द्वारा रिपोर्ट किए गए हैं।” उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके मतभेद राष्ट्रीय या राज्य नेतृत्व के साथ हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने संकेत दिया कि उपचुनाव के नतीजों के बाद वह इन मतभेदों के बारे में बात कर सकते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि वह उपचुनाव प्रचार का हिस्सा क्यों नहीं थे, तो थरूर ने कहा कि उन्हें इसके लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, जबकि पिछले साल हुए वायनाड उपचुनाव सहित अन्य उपचुनावों के दौरान यह परंपरा रही है। उन्होंने कहा, “मैं वहां नहीं जाता जहां मुझे आमंत्रित नहीं किया जाता”, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं के अभियान के प्रयास सफल हों और नीलांबुर से यूडीएफ उम्मीदवार की जीत हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी हालिया बातचीत के बारे में थरूर ने कहा कि यह ऑपरेशन सिंदूर के सिलसिले में विभिन्न देशों में प्रतिनिधिमंडलों की यात्राओं और वहां हुई चर्चाओं के बारे में थी। उन्होंने कहा, “किसी घरेलू राजनीति पर चर्चा नहीं हुई।”

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए केंद्र के निमंत्रण को स्वीकार करने के अपने निर्णय का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि उनका ध्यान भारत की विदेश नीति और उसके राष्ट्रीय हित पर है, न कि कांग्रेस और भाजपा की विदेश नीति पर। उन्होंने कहा, “मैंने अपनी लाइन नहीं बदली है। जब राष्ट्र से जुड़ा कोई मुद्दा सामने आता है, तो हम सभी का कर्तव्य है कि हम देश के लिए काम करें और बोलें। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मैंने जो कहा, वह मेरी अपनी राय थी। केंद्र ने मेरी सेवाएं मांगी थीं। वास्तव में, मेरी पार्टी ने नहीं मांगी थी। इसलिए, मैंने गर्व के साथ एक भारतीय नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाया।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button