
नई दिल्ली, 3 दिसम्बर 2024
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) से आसन्न कड़ाके की सर्दी के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में बेघर व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर विवरण मांगा। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “हम चिंतित हैं। हम बेहद सर्द सर्दी की पूर्वसंध्या पर हैं।” शीर्ष अदालत ने डीयूएसआईबी से उन व्यक्तियों की संख्या के बारे में विवरण देने को कहा, जिन्हें आश्रय गृहों में रखा जा सकता है और उन लोगों का अनुमान लगाया जा सकता है, जिन्हें ऐसी सुविधाओं की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि यदि उपलब्ध सुविधाओं में कोई कमी है तो डीयूएसआईबी यह भी बताएगा कि वह ऐसी स्थिति से कैसे निपटने का प्रस्ताव रखता है। शीर्ष अदालत शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मामले में कई आदेश पारित किये हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आश्रय गृहों की कुल क्षमता केवल 17,000 व्यक्तियों की थी और डीयूएसआईबी ने ऐसे नौ आश्रय गृहों को ध्वस्त कर दिया था। भूषण ने कहा कि इन ध्वस्त आश्रय घरों में लगभग 450 लोग रहते थे, हालांकि क्षमता केवल 286 थी। “दिल्ली में आश्रय गृहों की कुल क्षमता कितनी है?” पीठ ने डीयूएसआईबी के वकील से पूछा। वकील ने जवाब दिया कि यह लगभग 17,000 था और अदालत के समक्ष दायर आवेदन केवल छह अस्थायी आश्रयों से संबंधित था। डीयूएसआईबी के वकील ने कहा कि छह अस्थायी आश्रय गृह थे जो 2023 में यमुना नदी में बाढ़ के कारण नष्ट हो गए थे और जून 2023 से वहां कोई नहीं रहता था।
उन्होंने कहा कि यदि उस क्षेत्र के आसपास के बेघर लोगों को गीता कॉलोनी में स्थायी आश्रय गृह में स्थानांतरित किया जा रहा है तो आवेदक को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वकील ने कहा कि पिछली सर्दियों के दौरान दिल्ली में ठंड के कारण एक भी मौत की सूचना नहीं मिली थी। पीठ ने डीयूएसआईबी को एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें बेघरों को आवास देने के लिए बोर्ड के पास उपलब्ध सुविधाओं समेत विवरण का जिक्र हो। पीठ ने मामले को 17 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया। सुनवाई के दौरान भूषण ने दावा किया कि डीयूएसआईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ रिश्वतखोरी का आरोप था और मामले में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। पीठ ने कहा, ”यह चरित्र हनन के समान है” और कहा कि अधिकारी को मामले में आरोपी भी नहीं बनाया गया था। पीठ ने कहा, “इस तरह के अनर्गल आरोप लगाते हुए कि वह भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें आरोपी बना दिया गया है।” पीठ ने डीयूएसआईबी के वकील से कहा कि वे बेघरों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विवरण दें और क्या वे आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं, यह सुझाव देते हुए कि पिछले पांच-छह वर्षों के उपलब्ध प्रामाणिक आंकड़ों का औसत लिया जाए।






