नई दिल्ली, 5 जुलाई 2025
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं जहां सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं, वहीं केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों के पोर्टल और आंकड़ों से संबंधित “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास नियम, 2025” लागू कर दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नए नियमों के अनुसार, सभी राज्यों की वक्फ संपत्तियों की निगरानी और पता लगाने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल और सांख्यिकीय रिकॉर्ड स्थापित किए जाएंगे। इसकी देखरेख अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव करेंगे, जो वक्फ विभाग के प्रभारी हैं। पोर्टल स्वचालित रूप से प्रत्येक वक्फ और उससे संबंधित संपत्तियों के लिए विशिष्ट पहचान संख्या तैयार करता है।
सभी राज्यों को संयुक्त सचिव के पद के समकक्ष एक अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त करना चाहिए। वक्फ और संपत्तियों का विवरण अपलोड करने के लिए केंद्र के परामर्श से एक केंद्रीकृत सहायता इकाई स्थापित की जानी चाहिए। इससे वक्फ और बोर्डों के पंजीकरण, लेखा, लेखा परीक्षा और अन्य संबंधित गतिविधियों का सुचारू संचालन संभव हो सकेगा।
ये नियम 1995 के अधिनियम की धारा 108बी के तहत तैयार किए गए हैं, जिसे वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 द्वारा शामिल किया गया था। यह अधिनियम 8 अप्रैल, 2025 से लागू हो गया है। ये नियम विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं या अनाथों के लिए भरण-पोषण के प्रावधानों से भी निपटते हैं।
नए नियमों में कहा गया है कि ‘मुथवल्ली’ को अनिवार्य रूप से अपने मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी का उपयोग करके पोर्टल और डेटाबेस में पंजीकरण करना होगा, जिसे वन-टाइम पासवर्ड द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। पोर्टल पर पंजीकरण के बाद ही ‘मुथवल्ली’ वक्फ को समर्पित अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत कर सकता है।
नियमों के अनुसार, संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ घोषित करने की कोई भी जांच जिला मजिस्ट्रेट द्वारा रेफरल के एक वर्ष के भीतर नामित अधिकारी द्वारा पूरी की जानी चाहिए।