
नई दिल्ली, 14 जून 2025
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और उनके परिवार को Z-plus सुरक्षा दिए जाने को लेकर बार-बार याचिका दायर करने और Z-plus सुरक्षा पर सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि यदि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनके परिवार को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देने के सरकार के फैसले को चुनौती देने पर अड़े रहे तो उन पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा।
त्रिपुरा निवासी विकास साहा ने सर्वोच्च न्यायालय से सुरक्षा वापस लेने का निर्देश देने की मांग की। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की सदस्यता वाली सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली अवकाश पीठ ने कहा, “आवेदक के पास खतरे की सूचना का उचित मूल्यांकन करने के बाद राज्य द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है, और हम चेतावनी देते हैं कि आगे की कोई भी कार्यवाही करने पर न्यायालय उस पर अनुकरणीय जुर्माना लगाएगा।”
आदेश पारित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि मुकेश अंबानी, उनकी पत्नी नीता अंबानी और बच्चों अनंत, आकाश और ईशा को दी गई जेड+ सुरक्षा जारी रहनी चाहिए। साहा की याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा: “क्या यह तय करना सुप्रीम कोर्ट का काम है कि किसे क्या सुरक्षा दी जानी है? यह कुछ नया है जो सामने आया है। न्यायशास्त्र की नई शैली। क्या यह हमारा क्षेत्राधिकार है?”
पीठ ने कहा, “आप कौन होते हैं खतरे का फैसला करने वाले? भारत सरकार यह तय करेगी, नहीं? कल अगर कोई दुर्घटना होती है, तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे? या फिर न्यायालय इसकी जिम्मेदारी लेगा।”न्यायाधीशों ने कहा, “ऐसा मत करो, यह बहुत गंभीर मामला है और हम तुम्हें चेतावनी दे रहे हैं। ऐसा मत सोचो कि यहां कोई सोने की खान है जिसे छीना जा सकता है और हम यहां तुम्हारी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए नहीं हैं।”
मुकेश अंबानी और उनके परिवार की ओर से पेश हुए भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने साहा की याचिका पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “खतरे की आशंका को देखते हुए सरकार सुरक्षा प्रदान करती है। इस सज्जन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”






