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UNICEF Day : दुनिया के 190 देशों में बच्चों की सुरक्षा का सबसे बड़ा अभियान…जानिए इसके बनने की कहानी

यूनिसेफ डे हर साल 11 दिसंबर को दुनिया भर में बच्चों के अधिकार, सुरक्षा और विकास के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है

लखनऊ, 11 दिसंबर 2025 :

हर साल 11 दिसंबर को *’यूनिसेफ डे (UNICEF Day)’* मनाया जाता है। यह दिन यूनाइटेड नेशंस के उस संगठन को समर्पित है, जो दुनिया के हर बच्चे को सुरक्षित, स्वस्थ और बेहतर भविष्य देने के लिए काम करता है। यूनिसेफ यानी *यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड* , बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और उनके विकास से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाता है। यह विश्व के 190 से अधिक देशों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

कोरोना काल में यूनिसेफ बना बच्चों की सबसे बड़ी ढाल

कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया, लेकिन यूनिसेफ इस दौरान वैश्विक वैक्सीन सप्लाई में एक प्रमुख स्तंभ बनकर सामने आया। संगठन ने लाखों बच्चों और परिवारों तक टीके पहुंचाने की भूमिका निभाई। इसके अलावा यूनिसेफ बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छ पानी, स्वच्छता, शिक्षा और एचआईवी रोकथाम से जुड़ी सेवाएं भी प्रदान करता है। साथ ही बच्चों और किशोरों को हिंसा और शोषण से बचाने के लिए कई कदम उठाए जाते हैं।

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कैसे शुरू हुआ यूनिसेफ का सफर?

यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर 1946 को संयुक्त राष्ट्र ने युद्धग्रस्त यूरोप और चीन में बच्चों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए की थी। बाद में 1950 में इसका उद्देश्य बढ़ाकर दुनिया भर के विकासशील देशों में बच्चों और महिलाओं की जरूरतों को पूरा करना कर दिया गया। 1953 में यूनिसेफ को स्थायी रूप से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा बनाया गया।

यूनिसेफ डे का महत्व क्या है?

यह दिन बच्चों के विकास, उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने का अवसर है। भूख, भेदभाव, हिंसा और बच्चों के खिलाफ अत्याचारों को खत्म करने का संदेश भी इस दिन दिया जाता है। यूनिसेफ डे का मकसद यह बताना है कि हर बच्चा समान सुरक्षा और अवसरों का हकदार है चाहे वह किसी भी देश, धर्म या समुदाय से आता हो।

भारत में बच्चों के प्रमुख अधिकार क्या हैं?

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा माना जाता है। भारत में भी बच्चों को सुरक्षा और विकास से जुड़े कई कानूनी अधिकार मिले हुए हैं। भारत के प्रमुख बाल-अधिकारों में शामिल हैं-

* 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21-ए)।

* POCSO Act 2012, जो बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देता है।

* बाल श्रम निषेध कानून, जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना गैर-कानूनी है (कुछ सीमित अपवादों के साथ)।

* बाल विवाह निषेध कानून 2006, जिसके तहत लड़कियों की शादी की आयु 18 और लड़कों की 21 वर्ष तय है।

* बाल तस्करी और शोषण को रोकने के लिए बाल संरक्षण अधिनियम 2012 लागू है।

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में यूनिसेफ का उद्देश्य एक ही है-हर बच्चे को सुरक्षित, शिक्षित और सम्मानजनक जीवन देना।

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