देहरादून, 7 फरवरी 2025:
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) का ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ कमेटी की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यह कानून महिलाओं और बच्चों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, साथ ही विवाह संस्था को भी मजबूती मिलेगी।

लिंग आधारित भेदभाव होगा खत्म
प्रो. डंगवाल ने बयान जारी कर कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त कर समता स्थापित करना है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में महिलाओं को जानकारी नहीं होती थी कि उनके पति ने दूसरी शादी कर ली है। कुछ स्थानों पर धार्मिक परंपराओं की आड़ में भी ऐसा किया जाता था। अब शादी का पंजीकरण अनिवार्य होने से इस तरह की धोखाधड़ी रोकी जा सकेगी।
बाल विवाह और धोखाधड़ी पर लगेगी रोक
उन्होंने कहा कि अब 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी की कुप्रथा पर भी रोक लगेगी, जिससे बेटियां निश्चिंत होकर अपनी उच्च शिक्षा जारी रख सकेंगी। इससे महिलाओं को धोखे से दूसरी शादी का शिकार बनने से भी बचाया जा सकेगा।
संपत्ति में माता-पिता को भी समान अधिकार
प्रो. डंगवाल ने बताया कि UCC के तहत व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति में पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं, जिससे बुजुर्ग माता-पिता के अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।
लिव-इन रिलेशनशिप में भी बढ़ेगी जिम्मेदारी
लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को भी विवाह से जन्मे बच्चों की तरह माता-पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा। इससे रिश्तों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी और विवाह संस्था अधिक सशक्त होगी।
अभिभावकों को मिलेगी जानकारी
उन्होंने कहा कि संविधान दो वयस्क नागरिकों को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता देता है। इसके लिए पहले से विशेष विवाह अधिनियम मौजूद है, जिसमें आपत्तियां मांगी जाती हैं। अब कुछ मामलों में अभिभावकों को सूचना देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
लव जिहाद पर पहले से लागू है कानून
प्रो. डंगवाल ने स्पष्ट किया कि लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही धर्मांतरण कानून लागू है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट गाइडलाइन होने से कोर्ट केस में भी कमी आएगी और विवाह संस्था को मजबूती मिलेगी।