
रायपुर, 12 फरवरी 2025
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हाल ही में दिए गए अपने फैसले में कहा कि एक पुरुष और उसकी वयस्क पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध दंडनीय नहीं है। मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है जिसकी पत्नी अप्राकृतिक यौन संबंध के बाद अस्पताल में मर गई। डॉक्टर ने बताया कि उसे पेरिटोनाइटिस और मलाशय में छेद था।
भारत में वैवाहिक बलात्कार को कानूनन दंडनीय नहीं माना जाता है। उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, अप्राकृतिक यौन संबंध भी दंड के दायरे से बाहर हैं।
अप्राकृतिक यौन संबंध और गैर इरादतन हत्या के आरोप में उन्हें निचली अदालत ने दोषी ठहराया था, लेकिन उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिल गई।
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि यदि पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक है, तो पति द्वारा किया गया कोई भी यौन संबंध या यौन कृत्य किसी भी परिस्थिति में बलात्कार नहीं कहा जा सकता और ऐसे में अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति का अभाव महत्वहीन हो जाता है।
इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनाया जा सकता।
फैसले में कहा गया, “संशोधन के माध्यम से किए गए निरसन और दोनों धाराओं के बीच विरोधाभास को देखते हुए, पति और पत्नी के बीच अपराध को धारा 375 आईपीसी के तहत नहीं माना जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, लेकिन सुनवाई स्थगित हो गई क्योंकि बेंच की अध्यक्षता करने वाले भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त होने वाले थे।
इस मामले की सुनवाई एक नई पीठ द्वारा किए जाने की उम्मीद है।
केंद्र का कहना है कि विवाह संस्था की सुरक्षा ज़रूरी है और वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसलिए इस मामले पर फ़ैसला लेना अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भी कहा कि संसद ने विवाहित महिला की सहमति की रक्षा के लिए कई उपाय किए हैं।






