EducationUttrakhand

उत्तराखंड : स्कूलों में श्रीमद्भगवद्‌ गीता और रामायण की पढ़ाई होगी अनिवार्य, श्लोक वाचन शुरू

देहरादून, 16 जुलाई 2025:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 15 जुलाई से श्रीमद्भगवद्‌ गीता के श्लोकों का वाचन अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही, आगामी शैक्षिक सत्र से छात्रों को श्रीमद्भगवद्‌ गीता और रामायण को पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में पढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत 6 मई को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा को स्कूलों में शामिल किया जाए। इसके फलस्वरूप शिक्षा विभाग ने गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

नैतिक शिक्षा और जीवन मूल्यों पर जोर

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि प्रार्थना सभा में प्रतिदिन श्रीमद्भगवद्‌ गीता का कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित सुनाया जाए। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक सप्ताह एक “मूल्य आधारित श्लोक” को “सप्ताह का श्लोक” घोषित कर सूचना पट्ट पर अर्थ सहित लिखा जाए और सप्ताह के अंत में उस पर चर्चा की जाए।

डॉ. सती ने बताया कि संस्कृत और हिंदी के शिक्षक प्रतिदिन एक श्लोक छात्रों को पढ़ाएंगे। उसका अर्थ समझाएंगे और श्लोक विद्यालय के सूचना पट पर भी लिखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीमद्भगवद्‌ गीता की शिक्षा से बच्चों में नैतिकता, अनुशासन, तर्कशीलता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जीवन मूल्यों का विकास होगा। यह कदम बच्चों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।

भारतीय ज्ञान परंपरा का वैज्ञानिक आधार

शिक्षा विभाग का मानना है कि श्रीमद्भगवद्‌ गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह मानव जीवन के विज्ञान, मनोविज्ञान, व्यवहारशास्त्र और नैतिक दर्शन का अद्भुत संग्रह है। इसमें दिए गए उपदेश नेतृत्व क्षमता, निर्णय कौशल, भावनात्मक संतुलन और व्यवहारिक ज्ञान को विकसित करते हैं। यही कारण है कि गीता को धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ाया जाएगा। शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार, श्रीमद्भगवद्‌ गीता के श्लोक केवल विषयवस्तु या पाठ्य पुस्तक के रूप में न पढ़ाए जाएं, बल्कि छात्रों को उसके सिद्धांतों की व्यावहारिक समझ भी दी जाए।

अगले सत्र से नई पाठ्यपुस्तकों में होगा समावेश

श्रीमद्भगवद्‌ गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ समय लगेगा, क्योंकि नई पाठ्यपुस्तकों की छपाई और वितरण की प्रक्रिया भी पूरी की जानी है। यह पहल राज्य सरकार की नैतिक शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button