देहरादून, 25 मई 2025:
दिल्ली में नीति आयोग की बैठक के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर विशेष संबोधन के दौरान जानकारी दी कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने UCC को पूरी तरह लागू किया है। उन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि UCC लागू होने के बाद चार महीनों में डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि विधानसभा चुनावों में जीत के बाद पहले दिन से ही राज्य सरकार ने UCC लागू करने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया था। 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने राज्य के सभी 13 जिलों में व्यापक जन-संवाद और सुझाव एकत्र किए। इसके आधार पर विधेयक तैयार कर 7 फरवरी 2024 को विधानसभा में पारित किया गया, जिसे राष्ट्रपति ने 11 मार्च 2024 को मंजूरी दी। नियमावली और प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद 27 जनवरी 2025 को पूरे राज्य में UCC को विधिवत लागू कर दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत सूचीबद्ध अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा गया है ताकि उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों की रक्षा की जा सके।
उन्होंने स्पष्ट किया कि UCC किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त कर सभी नागरिकों को समानता के आधार पर न्याय सुनिश्चित करने का एक कानूनी प्रयास है। इसके तहत विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से संबंधित सभी मामलों में समान कानूनी प्रक्रिया लागू की गई है। बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और बेटी को संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
UCC के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। रजिस्ट्रेशन के दौरान युगल की जानकारी उनके माता-पिता या अभिभावकों को गोपनीय रूप से दी जाएगी। विवाह और तलाक दोनों का पंजीकरण अब जन्म और मृत्यु की तरह आवश्यक होगा। साथ ही माता-पिता को भी बच्चों की संपत्ति में अधिकार प्रदान कर बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना को साकार करता है और एक समतामूलक समाज की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।