Uttar Pradesh

वाराणसी : रोपवे परियोजना अंतिम चरण में… सिक्योरिटी टेस्ट बाकी, नए साल में होगी हवाई सैर

वाराणसी, 30 सितंबर 2025:

यूपी के वाराणसी में 815 करोड़ की लागत वाले कैंट से गोदौलिया तक 3.8 किलोमीटर लंबे रोपवे प्रोजेक्ट का काम अंतिम चरण में है। रोपवे की सुरक्षा जांच इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। इस अत्याधुनिक शहरी परिवहन प्रणाली को नए साल से आम जनता के लिए खोलने की तैयारी है।

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि रोपवे को आपदा प्रतिरोधी बनाया गया है, जो तेज हवाओं या बिजली गिरने जैसी स्थितियों में भी सुरक्षित रहेगा। रोपवे के 38 टावरों पर 228 सेंसर लगाए गए हैं, जो गंडोला की गति, स्थिति और तकनीकी खराबी की रीयल-टाइम निगरानी करेंगे। किसी भी खराबी की स्थिति में स्विट्जरलैंड के विशेषज्ञ इसे दूरस्थ रूप से ठीक कर सकेंगे। गर्ग ने बताया कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर गंडोला अपने नजदीकी स्टेशन तक स्वतः पहुंच जाएगा और बंद होने पर इसे अंदर से नहीं खोला जा सकेगा, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

रोपवे को स्काडा सिस्टम (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) से जोड़ा गया है, जो इसके संचालन को नियंत्रित करेगा। ब्रेकिंग सिस्टम और गति नियंत्रण की गहन जांच की जा रही है। सभी प्रमुख स्टेशनों कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा और गोदौलिया पर 24 घंटे चिकित्सा सुविधा, प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ, प्राथमिक उपचार और एम्बुलेंस उपलब्ध होगी। आपात स्थिति के लिए नजदीकी अस्पतालों से भी करार प्रस्तावित है।

नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) की प्रोजेक्ट मैनेजर पूजा मिश्रा ने बताया कि 16 मीटर चौड़े रोपवे कॉरिडोर के दोनों ओर 8-8 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक रहेगी। किनारे बनने वाले भवनों की ऊंचाई अधिकतम 10 मीटर तक सीमित होगी। गंडोला में वातानुकूलन की सुविधाएं होंगी। नए कॉरिडोर के लिए सर्वे शुरू हो चुका है और फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

815.58 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के तहत कैंट स्टेशन, भारत माता मंदिर परिसर, रथयात्रा और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जबकि गिरिजाघर चौराहे पर टर्मिनल स्टेशन होगा। यह रोपवे वाराणसी में शहरी परिवहन को नया आयाम देगा और पर्यटकों व स्थानीय लोगों के लिए सुगम यातायात का साधन बनेगा। अधिकारियों का कहना है कि यह रोपवे न केवल सुविधाजनक होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप भी होगा। नए साल में इसके शुरू होने से वाराणसी की यातायात व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है।

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